दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और जेल में बंद राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गुजरात हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री को लेकर की गई टिप्पणी के बाद गुजरात यूनिवर्सिटी ने मानहानि का केस किया था. यूनिवर्सिटी ने आरोप लगाया है कि उसके खिलाफ अपमानजक बातें कहीं दोनों नेताओं ने इस मामले में अपने खिलाफ जारी समन को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

अडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की ओर से जारी समन को चुनौती देते हुए केजरीवाल और सिंह की ओर से दायर अर्जी को जस्टिस हसमुख डी सुथार ने खारिज कर दिया. केजरीवाल और संजय सिंह के खिलाफ दायर मानहानि केस में आरोप है कि उन्होंने पीएम मोदी की डिग्री से जुड़े मामले में गुजरात यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाली बातें कहीं. इस केस में अदालत ने पिछले साल अप्रैल में दोनों नेताओं को तलब किया था.

गुजरात यूनिवर्सिटी ने दायर याचिका में कहा है कि केजरीवाल और संजय सिंह लगातार संस्थान की प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं. उनको पता है कि PM की डिग्री पहले ही वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी है. इसके बावजूद दोनों नेता कह रहे हैं कि डिग्री न दिखाकर यूनिवर्सिटी सच छिपा रही है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है.

क्या है पीएम डिग्री मामला

पीएम की डिग्री की जानकारी मांगने वाला मामला सात साल पुराना है. दरअसल अप्रैल 2016 में, केंद्रीय सूचना आयोग ने केजरीवाल से उनके चुनावी फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) के बारे में जानकारी मांगी थी. इसी दौरान केजरीवाल ने आयोग से कहा था कि वह सीआईसी को अपने बारे में आवश्यक जानकारी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि पीएम को भी उनकी शैक्षिक डिग्री के विवरण का खुलासा करने के लिए कहा जाना चाहिए.

केजरीवाल के जवाब को सीआईसी ने बतौर एक नागरिक का आरटीआई आवेदन माना. इसके बाद तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त एम श्रीधर आचार्युलु ने प्रधानमंत्री कार्यालय को दिल्ली विश्वविद्यालय और गुजरात विश्वविद्यालय से पीएम मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्रियों की विशिष्ट संख्या और वर्ष प्रदान करने का निर्देश दिया. यह आदेश इसलिए दिया गया था कि पीएम से संबंधित कोई भी दस्तावेज खोजने और प्रदान करने में आसानी हो.