कुमार इंदर, जबलपुर। ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि गरीब सभी जातियों में हैं तो EWS का लाभ केवल सामान्य वर्ग को ही क्यों दिया जा रहा है। हाई कोर्ट ने सवाल किया कि गरीबी का प्रमाण केवल सामान्य वर्ग को ही क्यों, देश के सभी गरीबों को इसका फायदा क्यों नहीं दिया जा रहा?
दरअसल एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एन्ड शोसल जस्टिस संस्था ने एक जनहित याचिका लगाई है जिस पर चीफ जस्टिस रवि मालिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता संस्था ने संविधान के अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) से असंगत बताते हुए EWS के संबंध में भारत सरकार से जारी पॉलिसी को संवैधानिक बताया गया है। हाईकोर्ट ने संस्था के वकीलों की जिरह के बाद भारत सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेसी एन्ड सोशल जस्टिस नामक संस्था ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई जिसकी सुनवाई चीफ जस्टिस रवि मालिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने की।
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उक्त फैसले में संविधान में किए गए संशोधन की वैधानिकता को अपहोल्ड किया गया है। जिसका समर्थन याचिकाकर्ता कर रहा है। लेकिन संविधान के संशोधन की मूल भावना के विरुद्ध भारत सरकार ने आज ऑफिस मेमोरेंडम (policy) जारी की है जिसमे गरीबी का प्रमाणपत्र केवल सामान्य वर्ग को ही जारी किए जाने के दिशा निर्देश दिए गए हैं।
जबकि 103वें संविधान के संशोधन में प्रत्येक वर्ग के 10% गरीबों को ews आरक्षण का लाभ दिए जाने का प्रावधान है। कोर्ट को बताया गया कि भारत सरकार द्वारा जारी ऑफिस मेमोरेंडम को आज दिनांक तक किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी गई है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने अपना स्पष्ट अभिमत दिया है। साथ ही भारत सरकार के ऑफिस मेमोरेंडम में जाति के आधार पर गरीबों में भी भेदभाव करने की बात कहीं गई है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15(5) एवं 16(6) के विपरीत है। हाईकोर्ट ने तर्कों को बेहद गंभीरता से लेते हुए भारत सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह के अंदर जवाब तलब किया है।
पांच आधार पर दी है है चुनौती
EWS आरक्षण लागू किए जाने के सम्बन्ध में भारत सरकार की ओर से 17 जनवरी 2019 की संवैधानिकता को पांच आधारों पर चुनौती दी गई है
(1) भारत सरकार की ओर से जारी EWS आरक्षण लागू किए जाने की नीति संविधान के अनुच्छेद 15(6) एवं 16(6) से असंगत
(2) EWS नीति में OBC/एस सी /एस टी को लाभ से वंचित किया जाना अनुच्छेद 14 के खिलाफ है
(3) सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित फैसले में भारत सरकार की नीति दिनांक 17/01/19 का परीक्षण नहीं किया गया है
(4) EWS आरक्षण स्पेशल रिजर्वेशन है जिसे वर्टिकल लागू किया जाना है यह असंवैधानिक है। इसे होरिजेंटल लागू किया जाना संविधान की मूल भावना के विपरीत भी है।
(5) EWS से संबंधित भारत सरकार की नीति गरीबों में जातीय आधार पर भेदभाव करने वाली है।
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