रवि साहू,नारायणपुर। नक्सल प्रभावित इलाकों में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम सुविधाओं के लिए शासन की ओर से अनेकों योजनाओं से करोड़ों खर्च किया जाता है. मगर कुछ निष्क्रिय और भ्रष्ट अधिकारियों के चलते जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आती है. ऐसा ही एक मामला नारायणपुर जिले से सामने आया है, जहां स्कूल में शौचालय तो है, लेकिन शौचालय की स्थिति इतनी खराब है कि बच्चे वहां जा नहीं सकते. इसके कारण उन्हें जान जोखिम में डालकर पास के तालाब और जंगल में जाना पड़ता है. Read More – पंचतत्व में विलीन हुए नक्सली हमले में शहीद भुआर्य : विधायक समेत हजारों लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई, एसपी ने कहा – व्यर्थ नहीं जाएगी जवान की शहादत, नक्सलियों को और जोश के साथ देंगे जवाब

दरअसल, पूरा मामला जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर ग्राम नारिया कोडोली का है. यहां ज्ञान ज्योति प्राथमिक शाला भवन में तीन शौचालय तो है, लेकिन शौचालय में न तो दरवाजा है और न ही छप्पर, शेड भी उखड़ गया है तो वहीं टॉयलेट शीट बुरी तरह टूटा होने के साथ ही शौचालय में जहरीले कीड़े-मकोडों का बसेरा रहता है. इसके चलते बच्चों को शौच के लिए जान जोखिम में डालकर पास के तालाब और जंगल में जाना पड़ता है, जहां जानवरों और जहरीले कीड़े मकोड़े का भय बना रहता है और रोज इन गतिविधियों को देखने शिक्षक मजबूर हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि हम प्रतिदिन अपने बच्चों को स्कूल भेजकर रोजी मजदूरी या खेती किसानी करने निकल जाते हैं. बच्चों को भोजन स्कूल में कराया जाता है. सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक स्कूल लगता है, इस दरमियान उन्हें शौच जाना होता है तो उन्हें जंगल या तालाब में जाना पड़ता है. बच्चे छोटे हैं इस दरमियान किसी प्रकार की अप्रिय घटना घटित होने पर इसका जिम्मेदार कौन होगा? हमने तो कई दफा शाला परिसर में शौचालय और बाउंड्री वॉल की मांग की है, लेकिन कोई सुध लेने वाला ही नहीं है.

प्रधान अध्यापक देवेन्द्र देवांगन ने कहा वर्षों से मांग के बाद शाला के लिए पक्का भवन तो बन गया, लेकिन वर्तमान में मुख्य रूप से शौचालय और बाउंड्री वॉल के संबंध में हमने कई दफा उच्च अधिकारियों को अवगत कराने के साथ ही ग्राम पंचायत में भी पत्र दिया है. मगर अब तक मांग पूरी नहीं हुई है, जिस वजह से शौच के लिए बच्चे तालाब और जंगल जाने के लिए मजबूर है.

पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी नीतू राठौर से फोन पर चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं था, मैंने 15 दिन पहले ही पदभार ग्रहण किया है. शौचालय के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज दिया जाएगा और स्वीकृति मिलने पर जल्द ही निर्माण कर दिया जाएगा और मैं स्वयं मौके पर जाकर निरीक्षण कर वैकल्पिक व्यवस्था करने सुनिश्चित करुंगी.