'संत सियासत': करपात्री जी महाराज से योगी आदित्यनाथ तक, UP की सियासत में दम दिखाने वाले ये 10 संत...

यूपी की सियासत और संत समाज से आने वाले नेताओं का नाता पुराना है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भी नाथ संप्रदाय से आते हैं और गोरखपुर के गोरक्ष पीठ के महंत हैं.

1998 से 2017 तक गोरखपुर से सांसद रहे योगी आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे में सरकार की कमान संभाल रहे हैं.

आजादी के बाद हुए पहले आम चुनाव से लेकर अब तक, UP के कई संतों ने सियासत में दमखम दिखाया है.

यूपी में संतों की सियासत का आधार तैयार किया था, आजादी के 1 साल बाद 1948 में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई जिसका नाम - अखिल भारतीय रामराज्य परिषद था.

स्वामी करपात्री जी महाराज

स्वामी रामानंद शास्त्री साल 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे.

स्वामी रामानंद शास्त्री

कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनाव में ही स्वामी ब्रह्मानंद को हमीरपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा था.

स्वामी ब्रह्मानंद

गोरक्ष पीठ के महंत दिग्विजयनाथ 1967 में उत्तर प्रदेश की गोरखपुर लोकसभा सीट से निर्दल उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर संसद पहुंचने में सफल रहे.

महंत दिग्विजयनाथ

महंत अवैद्यनाथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के गुरु भी हैं, साल 1962 में पहली बार गोरखपुर की मानीराम विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे.

महंत अवैद्यनाथ

यूपी के ही गोंडा में जन्मे स्वामी चिन्मयानंद 1991 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर पहली बार संसद पहुंचे थे.

स्वामी चिन्मयानंद

यूपी के ही कासगंज में जन्मे साक्षी महाराज उन्नाव लोकसभा सीट से सांसद हैं. साक्षी महाराज बीजेपी के टिकट पर 1991 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे.

साक्षी महाराज

यूपी के हमीरपुर जिले में जन्मीं साध्वी निरंजन ज्योति फतेहपुर सीट से सांसद हैं, 2014 में फतेहपुर सीट से पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं.

साध्वी निरंजन ज्योति

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में जन्मीं सावित्री बाई फुले साल 2012 में बीजेपी के टिकट पर पहली बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुई थीं.

सावित्री बाई फुले

मध्य प्रदेश के रीवां में जन्मे डॉक्टर रामविलास वेदांती फिलहाल राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य हैं.

रामविलास वेदांती

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