पंकज सिंह भदौरिया, दंतेवाड़ा। राज्य की पहली कैशलेस ग्राम पंचायत पालनार में संचलित बालक आश्रम पोटाली के बच्चों के मध्यान भोजन से लेकर आश्रम शाला की तरफ से परोसा जाने वाले भोजन में महज दाल-चावल खिलाकर खानापूर्ति की जा रही है. जबकि इसी आश्रम की दिवालो में बेहतरीन ढंग से रोजाना परोसे जाने वाले भोजन की तालिका में प्रतिदिन के हिसाब से अलग-अलग भोजन तालिका बनाकर दर्शाया गया है. जिसकी अनदेखी कर आश्रम के जबाबदार शिक्षक दरकिनार कर अपनी मनमर्जी कर रहे हैं.

मंगलवार को मीडिया भ्रमण के दौरान दोपहर को बनने वाले मध्यान भोजन में १५० बच्चो के लिए महज पतली दाल और चावल दिखा जिसे भी बच्चे लेकर आश्रम के गीले बरामदे में जमीन पर बैठकर भोजन करते नजर आये. वही दूसरी तरफ इसी मध्यान भोजन की तालिका में साफतौर पर दर्शाया गया है कि मंगलवार के दिन चावल,पंचरत्न दाल,हरी सब्जी छात्रों को तालिका के हिसाब से देनी चाहिए. आश्रम परिसर के छात्र महेश ,कोशा ने यह भी बताया कि महज रविवार के दिन ही नाश्ता दिया जाता है. बाकि दिन दाल-चावल बनता है. अधिक हुआ तो थालियों में आचार परोस दिया जाता है.

निरीक्षण पंजी में महीने भर में दर्जनों निरीक्षण

ऐसा भी नही है कि पोटाली आश्रम अंदुरुनी क्षेत्र में आने की वजह से व्यवस्थाओ में कमी हो. जिले से  कैशलेस पालनार जैसे गांव तक आसानी से विकासखंड से लेकर शिक्षा विभाग के जिला अधिकारियों की हमेशा इन आश्रमो में निरीक्षण दौरे भी होते रहते हैं. उसके बावजूद भी आश्रम में बच्चों परोसे जा रहे भोजन में कमी निरीक्षण में आये हुए अधिकारियों को अब-तक क्यो नही दिखी यह भी एक संशय भरा सवाल है.

नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चे अध्यन्नरत है पोटाली आश्रम में

सरकार जिस बस्तर की तस्वीर शिक्षादीप के नाम पर प्रज्वल्लित करने बानगी रखती थकती नही जानकारी के लिए बता दे यह बालक आश्रम पोटाली भी उन नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के आदिवासी बच्चो के लिए बना है. साल २००५ में नक्सलियों का कहर जब आश्रम शाला पर टूटा तो दर्जनों आश्रम विकासखण्ड कुआकोंडा के भी निकलकर सड़क पर ले आये गये. लेकिन अव्यवस्था के चलते पोटाली आश्रम आज भी लड़खड़ा रहा है.

मध्यान्ह भोजन में क्यो सब्जी नही दी गयी पूछता हूँ. पर आश्रम व्यवस्था पर मंडल सयोजक और सहायक आयुक्त ही सही से बता पायेगे.