भिलाई। “हर किसी की जिंदगी से जुड़ा है सेल“. ये लाइन अपने आप में सार्थक सिद्ध होती हैं कि कैसे भिलाई स्टील प्लांट हर किसी से जुड़ा है. जिस ट्रेन से आप रोजाना सफर करते हैं और अपने गंत्वय तक पहुंचते हैं उस ट्रेन की पटरियां भिलाई स्टील प्लांट में बनती है. देश की रेल को हर कोने तक पहुंचाने के लिए भिलाई स्टील प्लांट 50 से ज्यादा सालों से निरंतर दिन-रात काम कर रहा है.
भारत की शान बढ़ाने वाला युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को बनाने में भी भिलाई स्टील प्लांट का बड़ा योगदान है. पोत विमानों की लैंडिंग का झटका झेल सकने के लिए पोत में जो सबसे पतली लेकिन मजबूत प्लेटें लगी हैं उनका निर्माण भिलाई स्टील प्लांट में ही किया गया है. भिलाई स्टील प्लांट ने अब तक इतनी पटरियां बना ली हैं कि ये पटरियां 7 से ज्यादा बार धरती को लपेट सकती हैं. एक तरफ भिलाई स्टील प्लांट के पास इतनी उपलब्धियां है कि बताते बताते दिन बीत जाए. तो वहीं दूसरी तरफ एक सच यह भी है कि जो कर्मचारी और मजदूर इस प्लांट का परचम हर जगह लहराते हैं उनकी ही सुरक्षा में प्लांट हर बार चूक जाता है.
पहले भी हादसे-
जब से प्लांट बना है तब से कोई ना कोई हादसा वहां होता रहा है अब तक इतने लोग इन हादसों में मारे गए है कि सही आंकड़ें बता पाना भी मुश्किल है. इसलिए इस प्लांट को कालखाना भी कहा जाता है.साल 2014 कर्मचारियों के लिए काल बनकर आया था जब प्लांट के अंदर एक पंप हाउस में मेंटिनेंस के दौरान पंप फटने से कार्बन मोनोऑक्साइड का रिसाव शुरू हो गया. गैस रिसाव की जानकारी तब मिली जब कबूतर नीचे गिरने लगे. इस गैस की चपेट मे आने से स्टील प्लांट, सीआईएसएफ और फायर ब्रिगेड के 6 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 34 लोग घायल हुए. मरने वालों में 3 अधिकारी भी शामिल थे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुल 50 लोग गैस रिसाव की चपेट में आए थे.
क्या है हादसों की वजह-
- नियमित कर्मचारियों की संख्या मे ंलगातार कमी.
- बड़ी संख्या में कर्मचारी रिटायर होते है, लेकिन उतनी संख्या में कुशल कर्मचारियों की भर्ती नहीं की जाती.
- इन हादसोें की वजह है कि बड़ी संख्या में ठेका मजदूरों से काम लिया जाता है जो पूरी तरह प्रशिक्षित भी नहीं होते.
- इसके अलावा प्लांट की मशीने 50 साल से ज्यादा पुरानी है जिनमें आए दिन मेंटनेन्स की जरूरत होती है.
- मेंटनेन्स का काम अभी भी मैनुअली कराया जाता है जिससे हादसे होने की संभावना बढ़ जाती है.
- सुरक्षा मानको को ताक पर रख ये कर्मी सालों पुरानी मशीनों को हाथ से ही बनाते हैं. बीएसपी में इतनी जहरीली गैसे हैं कि एक छोटी सी चूक पूरे भिलाई को खत्म कर सकती है.
एेसे में बीएसपी के सीईओ को हटा देने से हाताल नहीं बदलने वाले जब तक की काम करने के तरीको को पूरी तरह सुरक्षित और आधुनिक उपकरणों से ना किया जाए.
केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने आश्चर्य जाताया कि आधुनिकीकरण परियोजना के बाद भी भिलाई स्टील प्लांट में गैस पाइप लाइन के कनेक्शन को दुरूस्त करने का काम 50-55 साल पुरानी पद्धति से ही किया जा रहा था.
वहीं अस्थाई व अकुशल ठेका श्रमिकों से काम कराने के कारण भी दुर्घटनाएं बढ़ीं. 2015 से 2018 तक कुल 25 श्रमिक यहां काम के दौरान मारे गए हैं.
इस तरह के हादसे प्लांट में आए दिन होते रहते हैं और बीएसपी की तरफ से मुआवजा और नौकरी देकर मृतक के परिवारों का दर्द कम करने की कोशिश की जाती है. लेकिन सवाल यह है कि जिन परिवारों ने अपने घर का सदस्य खो दिया उनकी कमी कैसे पूरी की जा सकती है. एेसे ही कई परिवारों ने अपना बेटा, भाई, पति और पिता खोया है. हंसते मुस्कुराते ये कर्मी जब अपनी ड्यूटी के लिए निकते हैं तो पत्नी कहती होगी आते हुए सब्जी ले आना, बच्चे कहते होगें पापा जल्दी आना पर किसे पता होता है कि ये कभी ना वापस आने के लिए निकल रहे. किसे पता होता है कि प्लांट की लापरवाही की बलि चढ़ने जा रहे हैं. आखिर और कितने परिवारों की खुशियों को निगलेगा ये प्लांट.