शब्बीर अहमद/मनीषा त्रिपाठी, भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की भदभदा बस्ती में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। एनजीटी के आदेश के बाद बड़े तालाब पर से अवैध बस्ती हटाई जा रही है। वहीं भदभदा बस्ती हटाने को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखा कहा कि तालाब किनारे की 100 वर्षो पूर्व से बनी बस्ती को शासन द्वारा बलपूर्वक बिना विस्थापन के हटाए जाने की कार्यवाही की जा रही।
रहवासियों को 20 फरवरी तक मकान खाली करने की मोहलत दी थी। जिसमें खाली हुए 20 घरों को गिराने की कार्यवाही शुरू की गई। जिसमें पुलिस ने बैरिकेटिंग कर आने जाने वालों को बाहर ही रोका। वहीं अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही में एक हजार पुलिस कर्मी तैनात हुए है। बतादें कि बिना परिचय पत्र के लोगों को अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही पर सियासत
इधर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही शुरू होते ही सियासत भी शुरू हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने लिखा भदभदा ब्रिज के पास स्थित इस बस्ती में 350 से अधिक मकान बने हुए है। जिनका खसरा क्र. 291 है। ये वक्फ के नाम पर रजिस्टर्ड है। इस भूमि का प्रकरण वक्फ ट्रिब्यूनल कोर्ट में साल 2018 से प्रचलित है।
उन्होंने लिखा कि, जिसे एनजीटी न्यायालय में शासन द्वारा नगर निगम भोपाल को पार्टी बना कर पेश किया गया था। इसे लेकर नगर निगम भोपाल ने इन 5 सालों में कोई भी ठोस जवाब न्यायालय में पेश नही किया गया है, जिसके कारण एनजीटी न्यायालय द्वारा इस बस्ती को अवैध निर्माण घोषित कर दिया गया।
उन्होंने लिखा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल न्यायालय के आदेश के पश्चात नगर निगम भोपाल द्वारा बिना विस्थापन की व्यवस्था लिए। इनके मकानों को बलपूर्वक तोड़ने की कार्यवाही की जा रही है। शासन द्वारा पूर्व में इन्हें स्थाई नल कनेक्शन और विद्युत कनेक्शन दिए गए है, जिसका इन लोगों द्वारा समय-समय पर भुगतान किया जाता रहा है। यह लोग कई वर्षो से सम्पति कर भी जमा करते आ रहे है। इसके बाद भी प्रशासन द्वारा विगत कुछ दिनों से नियम विरूद्ध तरीके से इनके नल और विद्युत कनेक्शन काट दिए गए।
उन्होंने कहा कि, अभी 10वीं एवं 12वीं कक्षा की परीक्षाऐं भी चल रही है। मेरा मानना है कि जब इस भूमि का प्रकरण पहले से ही वक्फ कोर्ट में प्रचलित है तो 100 साल पुरानी इस बस्ती को हटाने के लिए की जा रही कार्यवाही को निरस्त किया जाना चाहिए। इसके पश्चात फैसले के आधार पर अगर हटाया भी जाता है तो इन लोगों के पुनर्वास एवं उचित मुआवजे की व्यवस्था सरकार को करना चाहिए।
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