Jain Dharm:
क्यों कभी नहीं नहाते जैन साधु-साध्वी?
जैन धर्म से जी ऐसी कई प्रथाएं हैं जो न सिर्फ हैरान कर देने वाली हैं बल्कि इनका बहुत महत्व भी है
जैन धर्म में दो पंथ हैं: एक श्वेतांबर और दूसरे दिगंबर
जहा श्वेतांबर साधु-साधवी शरीर पर एक पतला सा सूती वस्त्र धारण करते हैं
वहीं, दिगंबर शरीर पर कुछ भी धारण नहीं करते यानी कि नग्न रहते हैं
जैन धर्म के साधु-साधवी कभी नहीं स्नान करते लेकिन इसके बाद भी पवित्र माने जाते हैं, आइये जानते हैं
जैन साधु या साधवी चाहे कितनी भी ठंड हो या कितनी भी गर्मी हो, कभी स्नान नहीं करते हैं
जैन धर्म में यह विधान है कि साधु या साधवियों को गीले कपड़े से शरीर पोंछना पड़ता है
गीले कपड़े से शरीर पोंछकर ही इनका तन शुद्ध एवं पवित्र हो जाता है
न नहाने के पीछे का एक और कारण भी मौजूद है, जैन साधु या साधवी मानते हैं स्नान करने से सूक्ष्म जीवों का जीवन नष्ट हो जाता है
जो व्यक्ति के शरीर पर मौजूद होते हैं लेकिन दिखाई नहीं देते हैं, इन्हीं जीवों की रक्षा हेतु जैन साधु-साधवी स्नान नहीं करते हैं
जैन साधु-साधवी कैसा भी मौसम क्यों न हो चाहे ठंड हो या गर्मी हेमशा जमीन पर ही सोते हैं वो भी बिना कुछ बिछाए
यह पूरे दिन में मात्र एक बार ही अन्न ग्रहण करते हैं, बाकी समय भूखे रहते हैं.
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