नितिन नामदेव, रायपुर। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है रायपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ में धान की कई सुगंधित किस्मे पूरे देश में छत्तीसगढ़ की खुशबू फैलाने का काम करती है, वहीं अब इस सुगंधित धान के किस्मों के बीच रायपुर में ठंडे इलाकों में की जाने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है. प्रगतिशील किसान प्रभात कुमार त्रिपाठी महज डेढ़ एकड़ जमीन में स्ट्रॉबेरी की खेती कर लाखों रुपए की आमदनी अर्जित कर रहे हैं. इसे भी पढ़ें : India vs. England 4th Test : इंग्लैंड ने पहली पारी में बनाई 46 रनों की बढ़त, जुरेल 10 रनों से चूके पहला शतक
प्रभात कुमार त्रिपाठी नया रायपुर के अपने डेढ़ एकड़ के फॉर्म में स्ट्रॉबेरी की तीन वैरायटी की खेती कर रहे हैं. जिसमें विंटरडॉन, ब्रिलियंस और पल्मेरितास शामिल है. स्ट्रॉबेरी की तीनों वैरायटी काफी जूसी और क्रिस्पी रहती है. खास बात यह है कि स्ट्रॉबेरी ठंडा जगह पर ही उगाई जाती है, और रायपुर का तापमान इस तरह की खेती के लिए अनुकूल नहीं है. ऐसे में प्रभात कुमार ने पहले अलग-अलग जगह से स्ट्रॉबेरी के मदर प्लांट को मंगवाकर नए प्लांट डेवलप कर सफल खेती की शुरुआत की. लल्लूराम डॉट कॉम ने प्रभात कुमार से रोजगार और आमदनी से लिहाज से उपयुक्त स्ट्राबेरी की खेती को लेकर चर्चा की.
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लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में प्रभात कुमार ने बताया कि रायपुर शहर का क्लाइमेट अलग है, यहां गर्मी ज्यादा रहती है तो क्या स्ट्रॉबेरी की खेती रायपुर में पॉसिबल है. हमने पिछले दो 2 सालों से स्ट्रॉबेरी के फार्मिंग पर काम किया है, इसके पौधे भी हमने रायपुर में ही बनाएं और यहां के एनवायरनमेंट के हिसाब से स्ट्रॉबेरी की खेती को किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है, और उसे गुणवत्ता के पौधे बनाएं जो यहां के वातावरण को शूट करते है और उसका प्रोडक्शन हमने किया है. इसके अलावा और भी जो फॉर्मैट्स की वैरायटी है, उसको भी हम पोली हाउस के अंदर भी इसका उत्पादन किया है.
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कंट्रोल पोली हाउस के अंदर भी इसका उत्पादन किया है, और ओपन लैंड है, वहां पर भी इसका उत्पादन किया है, तीनों जगह पर हमें बहुत अच्छा रिजल्ट मिला है, साथ ही हमने इसकी खेती के लिए पौधों की पोषक तत्वों को ध्यान रखा है. इनके न्यूट्रिशन मैनेजमेंट और डिजीज मैनेजमेंट पर हमने काम किया है, जो केमिकल फ्री उच्च गुणवत्ता वाली स्ट्रॉबेरी होती है जिसे सीधा खाई जाती है उस पर बहुत वर्क किया है, ताकि रासायनिक खाद का उपयोग करने की जरूरत ना पड़े और काफी हद तक हम सफल हुए हैं और बहुत अच्छे क्वालिटी के स्ट्रॉबेरी हम यहां पर ग्रो कर रहे हैं, और हमारे रायपुर के जो उपभोक्ता हैं उन तक पहुंचा रहे हैं.
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LR : स्ट्रॉबेरी की आप किस प्रकार की किस्म लगाए हुए हैं.
PK : हमने स्ट्रॉबेरी के सदाबहार किस्में लगाई है. विंटरडॉन बहुत जूसी और सॉफ्ट होने के साथ-साथ बहुत मीठी होती है. दूसरी किस्म ब्रिलियंस है. यह क्रिस्पी और जूसी स्ट्रॉबेरी होती है. यह बड़ी साइज की होती है, इसके साथ इसकी सेल्फ लाइफ काफी ज्यादा होती है, जिसकी वजह से ट्रांसपोर्टिंग के हिसाब से अच्छी मानी जाती है. इसके अलावा पल्मेरितास स्ट्रॉबेरी हमने बनाई है. इनके मदर प्लांट हमने कैलिफोर्निया और फ्लोरिडा से इंपोर्ट किए थे. पल्मेरितास ताज हमारी काफी मीठी स्ट्रॉबेरी है, जो काफी क्रिस्पी और जुसी है.
LR : ठंडी जगह पर जो स्ट्रॉबेरी होती है, वहां रायपुर जैसे गर्म जगह पर हो रही है. क्या दोनों के टेस्ट में अंतर आता है?
PK : ऐसा नहीं है, इसका पूरा जो पाट है, वह न्यूट्रिशन पौधों को सही तरीके से मेन्टेन कर मिलता है. इसके साथ ही उसका वेदर सही होता है. तो स्ट्रॉबेरी की खेती बहुत अच्छी होती है. अक्टूबर माह से मार्च माह तक स्ट्रॉबेरी की खेती अच्छे से की जा सकती है. हमारी फसल बहुत अच्छा परफॉर्मेंस दे रही है. रिजल्ट अच्छा आ रहा है. स्ट्रॉबेरी के साइज, उसका कलर और टेस्ट बहुत अच्छा है. हमने महाबलेश्वर की भी स्ट्रॉबेरी अच्छी है. जो फार्मर हमारे फार्म हाउस विजिट करते हैं, उनको हम महाबलेश्वर जैसे स्ट्रॉबेरी की टेस्ट कराते हैं. स्वाद में और साइज में कोई कमी नहीं है.
LR : स्ट्रॉबेरी की खेती में लागत कैसे निकल पा रहे हैं, और इसका देखभाल कैसे करते हैं?
PK : पौधों का आपने सही तरीके से केयर किया है, उनके पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया है, बीमारियों से बचाया है, कीड़े लगने से बचाया है, तो आपका उत्पादन प्रति एकड़ 12 से 14 मीट्रिक टन होता है. नवंबर में स्ट्रॉबेरी की खेती को हार्वेस्ट कर लिया तो आपको स्ट्रॉबेरी के 600 से 700 रुपए किलो मिल जाते हैं, लेकिन बीच में जब बाजार में सभी तरह से स्ट्रॉबेरी आनी शुरू हो जाती है, तब रेट कम जाता है. ओवरऑल अगर उत्पादन 12 टन भी होता है, तो 200 रुपए किलो के हिसाब से तब भी 20 से 24 लाख रुपए का प्रति एकड़ उत्पादन आपका होता है. लेकिन उसमें कुछ अंडरसाइज फ्रूट होते हैं, जो बाजार में बिकते नहीं है, वह फ्रूट इंडस्ट्री को चले जाते हैं. वह आपको देखना पड़ेगा कि वह बाजार आपके शहर में उपलब्ध है कि नहीं. और आपके शहर में नहीं है तो किसी प्रोसेसिंग यूनिट में ले जाकर सेल किया जा सकता है.
LR : कितना समय लगता है एक स्ट्रॉबेरी के पौधे को फल देने में?
PK : बात करें तो विंटरडॉन 45 से 50 दिन में फल देना शुरू कर देता है, लेकिन इसका जो मैक्सिमम प्रोडक्शन है शुरू में कम होता है, और जैसे-जैसे प्रोडक्शन होता है वैसे-वैसे इसका उत्पादन बढ़ता है. ठीक इसी तरीके से ब्रिलियंस है, वह भी 45 से 50 दिन में उत्पादन देना शुरू कर देता है. हमने जो पल्मेरितास ताज लगाया है, 55 से 60 दिन में उत्पादन देना शुरू कर देती है. तीनों किस्म 50 से 60 दिन में उत्पादन देना शुरू कर देते हैं, और जैसे ही 90 दिन की हो चुकी होती है, तब इसका उत्पादन बढ़ जाता है, और अगले 3 महीने से 6 महीने तक इसका उत्पादन ले सकते हैं.
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