अनिल सक्सेना, रायसेन। स्कूल, शिक्षा का वो मंदिर है जहां से ज्ञान की शुरुआत होती है और इसी से बच्चे अपनी जिंदगी का पहला अध्याय सीखते है। पर अगर बच्चों के हाथ में कलम और पुस्तक की जगह झाड़ू और पूछा हो तो? दरअसल, मध्य प्रदेश के रायसेन से एक ऐसा हो मामला सामने आया है। जहां बच्चों से पढ़ाई नहीं काम करवाया जा रहा है।

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मामला रायसेन ओबेदुल्लागंज जनशिक्षा केंद्र के अंतर्गत आने वाले शासकीय दादरोद टोला माध्यमिक और प्राथमिक स्कूल सिंगपुर इमलिया का है। ‘शिक्षा का अधिकार’ वाक्य सुनने में आपको बहुत ही सुंदर लगता होगा। पर हकीकत धरातल पर कुछ और ही दिखाई देती है। ओबेदुल्लागंज संकुल केंद्र के अंतर्गत आने वाले शासकीय प्राथमिक दादरोद टोला में बच्चे बर्तन धोते नजर आए। वहीं शासकीय माध्यमिक शाला सिंहपुर इमलिया में बच्चे स्कूल में कुर्सी ले जाते हुए दिखाई दिए।

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तो शासकीय प्राथमिक शाला सिंहपुर इमलिया में बच्चे झाड़ू लगाते लगा रहे है। इन सबको देखकर लगता है कि बच्चे स्कूल शिक्षा प्रदान करने नहीं झाड़ू लगाने, बर्तन धोने और कुर्सियां उठाते आते है। तस्वीर देख आप भी समझ सकते होगे इन स्कूलों में शिक्षा का स्तर क्या होगा। जहां शिक्षक समय पर नहीं आते समय से पहले छुट्टी कर घर चले जाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव के सपनों के प्रदेश में नन्हें बच्चों से किस प्रकार की शिक्षा करवाई जा रही है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इन स्कूलों में नियमों और कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते। वहीं इन लापरवाहियों को लेकर बीआरसी सतीश कुशवाहा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, मामले को लेकर सभी शिक्षकों से बात की जाएगी।

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