सुधीर साहू, रायपुर. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा-कांग्रेस जोर-शोर से जुट गई है. प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कभी भी हो सकता है. छत्तीसगढ़ की हाईप्रोफाइल सीट महासमुंद लोकसभा पर कांग्रेस के कब्जे का इतिहास रहा है, लेकिन कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने में भाजपा ने पांच बार सफलता हासिल की है. इस सीट पर पिछले तीन चुनावों में भाजपा का ही कब्जा है. इसी सीट पर 2104 को हुए लोकसभा चुनाव की चर्चा पूरे देशभर में थी.

1952 से अब तक महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में 18 चुनाव हुए हैं. इनमें 12 बार कांग्रेस व कांग्रेस (आई) ने चुनाव जीता है. वहीं एक बार 1989 के चुनाव में विद्याचरण शुक्ल जनता दल की टिकट पर जीते थे, जबकि भाजपा व जनता पार्टी यहां से पांच बार चुनाव जीती है. महासमुंद से कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ला 6 बार सांसद चुने गए हैं. 2004 में जब उन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ी तो वे इसी क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता अजीत जोगी से हारे थे. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल इस सीट से 1999 में सांसद चुने गए थे.

2004 में राज्य के पहले मुख्यमंत्री जोगी यहां से सांसद बने थे. कांग्रेस के श्योदास डागा 1952 में चुनाव जीतकर सांसद बने थे. इसके बाद 1971 तक लगातार कांग्रेस की ही जीत हुई. 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार बृजलाल वर्मा चुनाव जीते थे. 1998 में फिर भाजपा के चंद्रशेखर साहू ने चुनाव जीता. फिर 2009 से लगातार यहां भाजपा के सांसद चुने गए. अभी चुन्नीलाल साहू सांसद हैं.

2014 के चुनाव में खड़े थे 11 चंदूलाल

2014 का महासमुंद चुनाव चर्चा में रहा. इस चुनाव में भाजपा ने चंदूलाल साहू और कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को प्रत्याशी बनाया था. भाजपा प्रत्याशी का वोट काटने यहां 11 चंदूलाल उतारे गए थे. फिर भी इस चुनाव में अजीत जोगी चुनाव हार गए थे. भाजपा के चंदूलाल साहू लगातार दूसरी बार जीते.

अस्पताल की बेड वाली फोटो से जोगी को मिली जीत

2004 के चुनाव में अजीत जोगी और कांग्रेस के वीसी शुक्ल मैदान में थे. चुनावी प्रचार के दौरान गरियाबंद जिले में जोगी कार दुर्घटना में घायल हो गए थे. उनके कमर के नीचे का हिस्सा काम करना बंद हो गया, वे कभी पैर पर खड़ा न हो सके. अस्पताल के बेड वाली उनकी फोटो का पोस्टर ही प्रचार में लगाया गया और परिणाम उनके पक्ष में आया.

विद्याचरण शुक्ल 6 बार महासमुंद से चुने गए सांसद

विद्याचरण शुक्ल 1957 में बलौदाबाजार निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतरे और 27 साल की उम्र में लोकसभा पहुंच गए. विद्याचरण शुक्ल सबसे युवा सांसदों में से एक थे. उन्होंने लगातार 9 बार लोकसभा चुनाव जीता है. महासमुंद से विद्याचरण शुक्ल 6 बार सांसद चुने गए. वे केंद्रीय कैबिनेट में कई अलग-अलग पदों में रहे. संचार, गृह, रक्षा, वित्त, योजना, विदेश, संसदीय कार्य मंत्रालयों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाली. वीसी शुक्ल इंदिरा गांधी के खास रहे. संजय गांधी से उनकी खासी मित्रता थी.

इस बार भाजपा से इन नेताओं की दावेदारी

इस बार महासमुंद लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद चुन्नीलाल साहू के अलावा पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर का नाम चर्चा में शामिल है. संत गोवर्धन शरण व्यास को क्षेत्र की जनता चुनाव लड़ाना चाहते हैं. संत पवन दीवान को संसद तक पहुंचाने के बाद अब चतुर्भुज सिरकट्टी आश्रम के प्रति आस्था रखने वाले न केवल अनुयाई बल्कि आम मतदाता और संघ के कई बड़े नेता भी चाहते हैं कि इस बार महासमुंद लोकसभा क्षेत्र से संत गोवर्धन शरण व्यास को टिकट मिले. बताया जा रहा कि संभावित प्रत्याशियों की सूची में इस संत का नाम भी है.

1952 से अब तक ये रहे सांसद

चुन्नीलाल साहू भाजपा : 2019

चंदूलाल साहू भाजपा : 2014, 2009

अजीत जोगी कांग्रेस : 2004

श्यामाचरण शुक्ल कांग्रेस : 1999

चंद्रशेखर साहू भाजपा : 1998

संत कवि पवन दीवान कांग्रेस : 1991, 1996

बृजलाल वर्मा भाजपा : 1977

कृष्णा अग्रवाल कांग्रेस : 1971

विद्याचरण शुक्ल : 1980, 1984, 1989, 1962, 1964, 1967

मगनलाल बागड़ी कांग्रेस : 1952

श्योदास डागा कांग्रेस : 1952

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