पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों की बढ़ती संख्या के लिए जाना जाता है। टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है। यही कारण है कि पन्ना टाइगर रिजर्व को आवाद करने के लिए कई गांव विस्थापित किए गए थे। ऐसा ही एक गांव पीपर टोला था, जहां के लोगों को दो-दो हेक्टेयर जमीन और 36-36 हजार रुपए मकान बनाने के लिए दिए गए थे। लेकिन 20 साल बाद भी जमीन के वाजिब पट्टे नहीं दिए गए। उस समय के दिए गए वन भूमि के पट्टे अब किसी काम के नहीं रहे। विस्थापित ग्रामीण पन्ना टाइगर रिजर्व और कलेक्टर कार्यालय के बीच भटकते हुए बूढ़े हो गए और कई स्वर्गवासी हो गए। लेकिन उनकी समस्यायों का समाधान नहीं किया गया। आज मंगलवार को गुस्साए लोगों ने टाइगर रिजर्व कार्यालय में जमकर हंगामा किया।

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ग्रामीणों ने बताया कि साल 2003 से 2007 तक विस्थापन हुआ और पीपर टोला से सभी को पुखरा भेज दिया गया। जमीन के पट्टे नहीं मिलने से किसानों को पीएम सम्मान निधि और खाद बीज इत्यादि का लाभ नहीं मिल रहा है और न ही प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिल रहा है। इसके अलावा सूखा, ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाली क्षति का मुआवजा भी नहीं मिलता है, जिससे किसान मुश्किलों में हैं। कलेक्टर कार्यालय और पन्ना टाइगर रिजर्व कार्यालय दोनों जगह पर अधिकारियों से मुलाकात नहीं हो पाई। जिससे पीड़ितों को निराश हुई और गुस्साए ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी करने लगे।

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ग्रामीणों का कहना है कि पीड़ित अशिक्षित आदिवासी वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से बार-बार जिला मुख्यालय आने में असमर्थ हैं। अधिकारियों को अति शीघ्र निराकरण करना चाहिए। यदि शीघ्र निराकरण नहीं हुआ तो सभी पीड़ित नेशनल हाईवे 39 एनएमडीसी मझगवां गेट के पास धरना प्रदर्शन के लिए मजबूर होंगे। जिसकी जवाबदारी शासन- प्रशासन, पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन और पन्ना कलेक्टर की होगी।

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