इमरान खान, खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर जो है देवों के देव महादेव की ऐसी स्थली जहाँ महादेव अपने भक्त की इच्छा पूरी करने के लिए स्वयं विराजित होकर हमेशा के लिए ओंकार रूप में विराजमान हो गए। आदि देव महादेव माता पार्वती के साथ देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सिर्फ इसी ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में विराजमान है। 

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तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर…. एक ऐसी नगरी… जो सतयुग काल से चली आ रही है। हजारों साल का इतिहास समेटे पवित्र पावनी मां नर्मदा की कल-कल बहती झरनों का कलरव से लेकर उग्र होती मां नर्मदा का आंचल पर बसे भगवान ओंकारेश्वर के दर्शन मात्र से आपके तीन जन्मों के पापों का क्षरण हो जाता है।  एक ऐसी नगरी जहां महादेव स्वयं विराजते हैं। महाशिवरात्रि पर यहां पुण्य लाभ लेने देश के कोने कोने से लोग यहां आते हैं। देशभर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं। इनमे से 2 ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में विराजमान हैं। जिनमे पहला ज्योतिर्लिंग उज्जैन दूसरा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में मौजूद हैं। 

ओंकारेश्वर में विराजित भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही अनेक मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं तथा श्रद्धालुओं पर भगवान शिव का अपर आशीर्वाद बना रहता हैं। ओंकारेश्वर धाम किसी मोक्षधाम से कम नही हैं।  ॐ के आकार में बने इस धाम की परिक्रमा करने से भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता हैं। ओंकारेश्वर धाम मध्य प्रदेश की मोक्ष दायिनी कही जाने वाली नर्मदा नदी के तट पर बसा हैं। यहां विराजित ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु नर्मदा पर बने पुल के माध्यम से उस पार जाना पड़ता हैं। नर्मदा नदी के बीच मन्धाता व शिवपुर नामक द्वीप पर ओंकारेश्वर पवित्र धाम बना हुआ हैं। बताया जाता हैं कि जब भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग यहां विराजमान हुए थे तब मां नर्मदा नदी यहां स्वतः ही प्रकट हुई थी। आस्था हैं कि भगवान शिव के पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु पहले नर्मदा में स्नान कर पवित्र डूबकी लगाना पड़ती हैं। जिससे भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की कामना पूरी करते हैं।

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ओंकारेश्वर पवित्र धाम को लेकर कई प्रकार की कथाएं प्रचलित हैं। बताया जाता हैं कि ॐ ध्वनि की उत्पत्ति इसी ओंकारेश्वर से शुरू हुई थी। भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम के पूर्वज राजा मान्धाता ने यहां पर्वत पर घोर तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न हुए भगवान शिव से राजा ने वरदान स्वरूप यही निवास करने का वरदान मांगा था। जिसके बाद भगवान ने राजा के वचन अनुसार यहां पवित्र ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव विराजमान हुए एवं राजा के राज्य में रहने वाली हर जनता की सुरक्षा एवं रक्षा भगवान शिव स्वयं करते रहें। आज भी सरकारी गजेटियर में इसे मांधाता थाना और विधानसभा मांधाता के रूप में ही जाना जाता है।

ओंकारेश्वर को लेकर कई मान्यता हैं जो इस तीर्थ के प्रति एक नई आस्था को हर रोज मनुष्य में उत्पन्न करती हैं। कहा जाता हैं कि यहां पर 33 करोड़ देवी देवताओं का वास हैं तथा नर्मदा नदी मोक्षदायिनी हैं। 12 ज्योतिर्लिंग में ओंकारेश्वर का पवित्र ज्योतिर्लिंग भी शामिल हैं। शास्त्रों में मान्यता हैं कि जब तक तीर्थ यात्री ओंकारेश्वर के दर्शन कर यहां नर्मदा सहित अन्य नदी का जल नहीं चढ़ाते हैं तब तक उनकी यात्रा पूर्ण नही मानी जाती हैं। तथा यहां पर नर्मदा नदी में लगातार 7 दिवस तक सूर्योदय के समय स्नान कर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से रोग, कष्ट दूर होकर मनचाहा फल एवं मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।

ऐसा माना जाता है की अगर आपने देशभर में समस्त यात्राएं पूरी कर ली और ओंकारेश्वर नहीं आए तो आपकी यात्रा अधूरी रह जाती है। यहाँ आकर अगर मां नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान को जलाभिषेक कर दिया तब जाकर आपकी यात्रा पूर्ण मानी जाती है। ओंकारेश्वर आने वाले श्रद्धालु आस्था और भक्ति के साथ यहां दर्शन लाभ लेते हैं।

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