मनीषा त्रिपाठी, भोपाल। जल जीवन मिशन में मध्य प्रदेश के 51 हजार गांव शामिल हो गए हैं। इन गांवों के एक करोड़ 11 लाख 86 हजार 778 घर इस योजना से लाभान्वित होंगे। वर्तमान में 67 लाख 88 हजार 570 घरों तक नल से जल पहुंच रहा है। हर घर नल से जल पहुंचाने के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी।

पीएम मोदी के इस सपने से हर घर में नल से पानी पहुंच रहा है। जिससे गांवों की तस्वीर भी धीरे-धीरे बदल रही है। अब लोगों को कई किमी दूर से नदी या कुएं से पानी लाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती है। जल जीवन मिशन की सफलता पूर्ण करने के लिए प्रदेश में ‘जल-हठ’ अभियान जन आंदोलन के रूप में भी चलाने का निर्णय कर लिया गया है।

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इस मिशन में सरकार और समाज की भागीदारी से हर गांव, हर नगर में पुराने तालाबों एवं अन्य जल स्रोतों का उन्नयन, विकास, सुंदरीकरण और गहरीकरण कराया जाएगा। इसके साथ ही जल स्रोतों के आसपास किए गए अतिक्रमण को हटाकर पौधारोपण किया जाएगा। अगर प्रदेश के जिलों का इस योजना में प्रदर्शन देखा जाए तो जल जीवन मिशन के अंतर्गत तीन लाख से ज्यादा घर चिह्नित करने वाले देश के टाप 9 जिलों में एमपी का रीवा भी शामिल है। यहां 3,90,342 घर चिह्नित किए गए हैं। रीवा प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। वहीं निवाड़ी जिले में सबसे कम 55 हजार 645 घर ही चिह्नित किए गए हैं।

जल जीवन मिशन की पूर्ण सफलता के लिए प्रदेश में जल-हठ अभियान के माध्यम से जल स्रोतों के संरक्षण और जल संवर्धन को जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा। प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन की समृद्धशाली परंपरा रही है। प्रदेश की चंदेल और गोंडकालीन जल संरक्षण प्रणाली न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में प्रसिद्ध रही। अब इस अभियान के अंतर्गत जल स्रोतों के अतिक्रमणों को प्राथमिकता से हटाया जाएगा।

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प्रदेश के तालाबों और अन्य जल स्रोतों में अतिक्रमण से उनका कैचमेंट एरिया खत्म होता जा रहा है। इससे जल स्रोतों में प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है। सिंचाई और पीने का पानी लगातार कम होते जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के छोटे-छोटे नदी नालों में पहले साल भर जल संरक्षित रहता था, लेकिन अब ये नदी-नाले समाप्तप्राय हो गए हैं। बारिश के पानी को संरक्षित करने और भूजल उन्नयन के लिए इन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयास जल-हठ अभियान में किए जाएंगे।

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