पंकज भदौरिया, दंतेवाड़ा. जिले के विकासखंड कुआकोंडा के समेली ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम माड़ेन्दा में बुजुर्ग और बच्चों पर बीमारी आफत बनकर टूट पड़ी है. गांव के दर्जनों बीमार समेली अस्पताल में भर्ती है. इसी माड़ेन्दा ग्राम के एक 3 वर्षीय मासूम आर्यन की मौत 14 तारीख को डिमरापाल मेडिकल कालेज में हो गया. आर्यन की मां जानकी ने रोते हुए बताया कि बच्चा आख़िरी सांसे ले रहा था और मेडिकल कालेज में नर्सों का एक दल ठहाके मारकर हंस रहा था.
लाख बोलने के बाद भी कोई उस अस्पताल में सुनने वाला नहीं था. भगवान मेरे बच्चे के साथ जो लापरवाही अस्पताल ने बरती है वह दूसरों के साथ न हो. जब मीडिया की टीम दन्तेवाड़ा जिले से 50 किलोमीटर दूर चलकर इस गांव में पहुंची तो आधा दर्जन से अधिक मासूम बच्चे बीमार मिले.
डिमरापाल में दम तोड़े मासूम आर्यन के परिजनों ने बच्चे की मौत होने की वजह मेकाज अस्पताल की लापरवाही बताई जा रही है. आर्यन के पिता साधु ने आरोप लगाया कि बच्चे को 12 सितंबर को सुरक्षित जगदलपुर डिमरापाल मेडिकल कालेज में इलाज के लिए ले गए थे, जहां बच्चे की अस्पताल प्रबंधन ने ठीक से इलाज नहीं किया. अस्पताल में डॉक्टरों ने आर्यन को अंत तक सामान्य वार्ड में ही रखा. और उसकी बिगड़ती हालात को देखते हुए भी उसे आईसीयू में नहीं रखा गया. इतना ही नहीं आर्यन की मौत के बाद परिजनों को प्रबंधन ने शव वाहन भी उपलब्ध नहीं कराया.
बच्चे को अंत तक क्या हुआ था यह भी परिजनों को बताने वाला कोई डॉक्टर नहीं था. इतना ही नहीं परिजनों को मात्र एक छोटी सी स्लीप देकर भेज दिया गया. कोई भी इलाज से जुड़े दस्तावेज परिजनों को नहीं दिए गए. आर्यन की मौसी ने बताया कि जब अस्पताल की लापरवाही का विरोध किया गया तो उसे मैनेजमेंट ने अस्पताल से बाहर निकाल दिया.
दहशत में है पूरा गांव
इधर, गांव में बीमार लोगों की संख्या और आर्यन की मौत के बाद जापानी बुखार की दहशत पूरे गांव में फैली हुई है. जहां लोग बीमार भी है. वहीं पोटाली उपस्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों का एक दल भी मेडिकल कैम्प करने पहुंचा हुआ था. जहां डॉक्टर अतीक अंसारी का कहना है कि मलेरिया फैला हुआ है. जापानी बुखार नहीं है. ब्लड के सैम्पल टेस्ट के लिए भेजे गए हैं. साथ ही ईलाज भी कुछ मरीजों का किया जा रहा है.