कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। आज यानी 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। महिला सशक्तिकरण के लिए आज दुनियाभर में ये दिन मनाया जा रहा है। आज के दिन ग्वालियर की जूली का नाम न लिया जाए तो दिन फीका नजर आएगा। जूली अनेजा ने महिलाओं को सशक्त बनाने का एसा बीड़ा उठाया कि आज वे ‘जूली मां ‘ के नाम से जानी जाती है।

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अनाथ बेटियों की परवरिश कर पढ़ाया लिखाया
जूली को अनाथ बेटियों की परवरिश और सेवा का इतना जुनून है कि, जुली अब तक 26 बेसहारा बच्चियों को पाल चुकी है। इसके साथ ही जुली ने अब तक पाली गई 10 बेटियों की शादी की है। 10 बेटियां पढ़ लिखकर नौकरी कर रही हैं, वहीं 6 बेटियां अभी घर में पल रही है। जुली स्वर्ग सदन सेवा आश्रम के 100 से ज्यादा असहाय लोगों के लिए हर रोज खाना बनाकर भी देती है।

इस लिए लोग कहते हैं ‘जूली मां’
ग्वालियर में रहने वाली जूली का बचपन कई अभावों में गुजरा था, उस समय जुली ने मन मे ठान लिया था कि जब वह सम्पन्न होगी तो अनाथ बेटियों के लिए वह काम करेगी। साल 2018 में जुली 2 बेसहारा बेटियों को अपने घर लेकर आई उनकी परवरिश की। इसके बाद ये सिलसिला चलता रहा, बीते 6 साल में जुली ने 26 बेसहारा बेटियों को अपने घर लाकर परवरिश की है। इसमें से जुली ने 10 बेटियों की शादी की है, वहीं 10 बच्चियां पढ़लिख कर जॉब कर रही हैं। आज 6 बेटियां जुली के घर रह रही है। खास बात ये है कि जुली ग्वालियर के स्वर्ग सदन आश्रम के 100 बेसहारा लोगों के लिए रोजाना सुबह शाम निशुल्क खाना बनाकर देती है। यही वजह है कि जूली को पूरा शहर जूली मां के नाम से जानता है।

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पति का भी मिला साथ
जूली अनेजा के काम में उनके पति कमल अनेजा भी सहयोग करते हैं। पति कमल कहते हैं कि हमारे पास अब तक 26 बेटियां आ चुकी है। जब तक हमारा जीवन है तब तक बेटियों का पालन करते रहेंगे। भगवान ने उन्हें कोई बहन नही दी, उनके भी कोई बेटी नही हुई, लेकिन ईश्वर ने एक साथ इतनी बेटियां दे कर मन खुशी से भर दिया।

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cजूली के घर साल 2018 में सबसे पहले काजल पहुंची थी। बिन मां बाप की बच्ची काजल की उसके रिश्तेदारों ने बचपन में ही उसकी शादी ज्यादा उम्र के लड़के से कर दी थी। जूली ने 2018 में काजल के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी और फिर उसकी शादी शून्य घोषित कराई। काजल को पढ़ाने के बाद लिखाया और फिर बालिग होने पर अच्छा लड़का देखकर उसकी शादी कर दी। काजल कहती है कि उसने मां तो नहीं देखी लेकिन मां होती तो जूली मां से बेहतर नहीं होती। तो वहीं जूली के घर में पल रही सोनम कहती है कि बचपन में उसके सिर से माता पिता का साया उठ गया था। लेकिन जब से वो इस घर में आई है उसे मां की कमी महसूस नही हुई। सोनम कहती है कि उनकी तमन्ना है कि वह भी अपनी मां जूली की तरह ही बने और बेटियों के साथ ही समाज की सेवा का काम करें।

वाकई में आज के दौर में इंसान अपने बच्चों को नहीं पाल पाता है, ऐसे में जूली ने 26 अनाथ बच्चियों की परवरिश की। उनमें 10 की शादी भी कर दी। वहीं 10 को जॉब पर लगा दिया और 6 बच्चियों को आज भी घर मे पाल रही है। ये कोई आसान काम नहीं इसके लिए दिल में सेवा भाव का जज्बा चाहिए। महिला दिवस पर हम जूली मां के इस काम को सैल्यूट करते है।

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