यह स्टोरी है एक सक्सेसफुल किसान की जिसने सुपरफूड की खेती औऱ गौ मूत्र के छिड़काव से फसल तैयार की। इसकी खेती में समय और लागत बहुत कम लगती है और मुनाफा भरपूर. समस्तीपुर जिले के किसानों ने अब खेती का तरीका ही नहीं फसल भी बदल दी है.
इससे कम लागत और कम समय में काफी मुनाफा होता है. समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन नगर प्रखंड क्षेत्र के किसान आलू, मक्का, सरसों की खेती करते आ रहे हैं. इसमें मेहनत बहुत और मुनाफा मामूली होता था. इन सब से हटकर पटोरी शहर के रहने वाले सुबोध कुमार ने चिया सीड्स की खेती शुरू की. शुरुआत उन्होंने साढ़े तीन एकड़ जमीन लीज पर लेकर फसल की. और उनका फैसला सही साबित हुआ. सुबोध को अब प्रति एकड़ 66 हजार रुपए का मुनाफा हो रहा है.
खेत में डीएपी का खाद का उपयोग वो बिलकुल नहीं करते. सिर्फ जैविक खाद और खासतौर से गौमूत्र का उपयोग करते हैं. ये फसलों के लिए वरदान साबित हुआ. शुरुआत में उन्होंने एक एकड़ में सिर्फ चिया सीड्स लगाए थे.
3 से 4 महीने में तैयार होती है फसल
यह फसल 3- 4 महीने के अंदर तैयार हो जाती है. अगर किसान एक एकड़ में चिया सीड्स की खेती करना चाहते हैं, तो उन्हें 4 से 5 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की जरूरत पड़ेगी. एक एकड़ खेत में चिया सीड्स उगाने पर 25 से 30 हजार तक की लागत आती है. 1 किलो बीज में तीन महीने के अंदर 1 क्विंटल उत्पादन मिल जाता है.
यहां होता है उपयोग
चिया सीड का प्रयोग औषधि के रूप में अधिक होता है. इसलिए बाजार में इसकी डिमांड भी ज्यादा है. भारत में सुपर फूड्स की मांग और खपत में लगातार वृद्धि हो रही है. इसी वजह से अधिक से अधिक किसान इसकी खेती की ओर रुख कर रहे हैं. उन्होंने कहा जिस कंपनी से बीज खरीदते हैं. फसल तैयार होने पर उसी कंपनी के हाथों बेच दिया जाता है.
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