नई दिल्ली. अब तक अगर आपका किसी एक ई-वैलैट पर पैसा है तो दूसरे ई-वैलेट पर पैसे ट्रांसफर नहीं सकते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जरूरत होने पर आप ई-वैलेट के बीच भी पैसों का लेन-देन कर सकते हैं. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के मंगलवार को जारी गाइडलाइन से इसका रोड़ा खत्म हो गया है.
अब तक आपका पैसा पेटीएम, फ्रीचार्ज, मोबीक्विक या किसी दूसरे ई-वैलेट पर है, तो जरूरी होने पर एक-दूसरे के बीच पैसों की अदला-बदली नहीं कर सकते थे. इसके पीछे मुख्य वजह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से लगाई गई रोक थी. ई-ट्रांजेक्शन के बढ़ते चलन के बीच आरबीआई ने दिसंबर 2017 में ही ई-वैलेट के बीच पैसों के आदान-प्रदान को स्वीकृति प्रदान कर दी थी, लेकिन इसे लागू करने से पहेल ई-वैटेल कंपनियां पूरे गाइडलाइन का इंतजार कर रही थीं. कंपनियों का इंतजार मंगलवार को आरबीआई के पूर्ण गाइडलाइन जारी करने के साथ खत्म हो गया है.
कारोबार पर होगा सकारात्मक असर
आरबीआई के ई-वैलेट के बीच पैसों के आदान-प्रदान की छूट प्रदान किए जाने का ऑनलाइन पेमेंट में तेजी से बढ़ोतरी होगी. कारोबार से जुड़े जानकारों का कहना है कि इससे आने वाले दो सालों में यह ऐ-वैलेट से रकम लेन-देन का काम तीन से पांच गुणा तक बढ़ सकता है. यही वजह है कि चार-पांच ई-वैलेट कंपनियों ने इस नए फीचर को लागू करने से पहले टेस्टिंग भी शुरू कर दी है.
तीन चरणों में होगा पूरी तरह से लागू
आरबीआई द्वारा वर्ष 2017 में जारी अपने दिशा-निर्देश में पूरी प्रक्रिया को तीन चरणों में लागू करने की बात कही थी. पहले चरण में केवायसी का पालन करने वाले तमाम ई-वैलेट एक-दूसरे के बीच रकम का आदान-प्रदान कर पाएंगे. दूसरे चरण में यूपीआई के माध्यम से रकम का आदान-प्रदान कर पाएंगे, और तीसरे और अंतिम चरण में ई-वैलेट बिना बैंक के सहयोग के वीसा, मास्टरकार्ड और रूपे के कार्ड जारी कर पाएंगे.
155.73 अरब का हुआ कारोबार
आप जानकार हैरान हो जाएंगे की केवल अगस्त 2018 में मोबाइल वैलेट के जरिए 34 करोड़ से ज्यादा लेनदेन किया गया था, जो रकम के हिसाब से 155 अरब रुपए से ज्यादा का कारोबार हुआ था. वहीं जुलाई महीने में 32 करोड़ ट्रांजेक्शन हुआ था, जो रकम के हिसाब से 152 अरब रूपए से ज्यादा था.