सुप्रीम कोर्ट में आज भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की याचिका पर चुनावी बांड को लेकर सुनवाई हुई. एसबीआई ने इलेक्टरोल बॉन्ड की जानकारी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने जवाब में एसबीआई को कहा कि हमने आपसे डेटा मांगा था. लिफाफा खोलिए और हमें डेटा दीजिए. नहीं तो बताइए, कहां दिक्कत आ रही है.

सुनवाई शुरू होने पर एसबीआई की तरफ से वकील हरीश साल्वे ने कहा, “हमने अतिरिक समय का अनुरोध किया है. हमने आदेश के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड जारी करना भी बंद कर दिया है. हमें आंकड़ा देने में कोई समस्या नहीं है. हमें सिर्फ उन्हें व्यवस्थित करने में कुछ समय लगेगा. इसका कारण यह है कि हमें पहले बताया गया था कि यह गुप्त रहेगा. इसलिए बहुत कम लोगों के पास इसकी जानकारी थी. यह बैंक में सबको उपलब्ध नहीं था.”

हरीश साल्वे की दलीलें सुनने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हमने पहले ही एसबीआई को आंकड़ा जुटाने को कहा था. उस पर अमल किया गया होगा. फिर क्या समस्या आ रही है. हमने उसे व्यवस्थित करने के लिए नहीं कहा था.”

इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी भारत निर्वाचन आयोग यानी ECI को देने के लिए SBI ने 30 जून तक का समय मांगा था. भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं.

असल में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड की वैधता को लेकर याचिका दायर की है. एसबीआई को 6 मार्च तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना था लेकिन ये इस अवधि में नहीं हो सका था.

बीती 15 फरवरी को पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के एकमात्र फाइनेंशियल संस्थान एसबीआई बैंक को 12 अप्रैल 2019 से अब तक हुई इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीद की पूरी जानकारी 6 मार्च तक देने का आदेश दिया था.