संदीप, बिलासपुर। प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के मामले में हाईकोर्ट ने नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव को तलब किया है. इन्हें 10 अगस्त को कोर्ट में पेश होकर इस बात का जवाब देना है कि प्लास्टिक पर बैन के बाद भी क्यों हर जगह पॉलीथीन दिख रहे हैं. याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी की याचिका पर ये आदेश दिया है.
कोर्ट ने सचिव पर्यावरण संरक्षण मंडल सभी कलेक्टर एवं पर्यावरण संरक्षण मंडल के सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को इस मामले में पक्षकार बनाया है. याचिकाकर्ता सिंघवी ने कहा है कि राज्य में प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध के बाद भी इस मामले के उत्तरदायी अथारिटीज़ केवल फाइन करके इसका इस्तेमाल करने वालों को छोड़ रहे है जबकि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होना चाहिए.
न्यायालय ने कहा कि प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग पर प्रतिबंध लगने के बाद कुछ दिनों तक तो ठीक रहा पर अब प्लास्टिक कैरी बैग सब जगह दिख रहे हैं कोर्ट ने कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरा बढ़ा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में 1 जनवरी 2015 से प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण भंडारण आयात विक्रय तथा परिवहन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है. यह प्रतिबंध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में प्रदत्त शक्तियों के आधार पर लगाया गया है.
याचिकाकर्ता ने बताया इस मामले में की जा रही वसूली की शिकायत याचिकाकर्ता ने सदस्य सचिव छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को नवंबर 2016 में लिखित की थी जिसके बाद छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने 7 दिसंबर 2016 को संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को पत्र लिखकर न्यायालय में ही परिवाद दायर करने हेतु कहा था. परंतु नगर पालिक निगमओ द्वारा अवैध वसूली जारी रखी गई.
याचिकाकर्ता ने बताया कि नगर निगमों नगरी निकायों और पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारियों को दुकानदारों और नियमों का उल्लंघन करने वालों से किसी भी प्रकार की नगद पेनल्टी वसूलने का अधिकार नहीं है. उसके बावजूद पूरे प्रदेश में नगर निगमों द्वारा दुकानदारों से 100, 200, 1000, 2000, 5000, 10000 रुपए तक की मनमर्जी के अनुसार वसूली की जा रही थी यहां तक कि रायपुर निगम नगर पालिका निगम द्वारा चार लोगों से प्रत्येक से 1 लाख रुपए की वसूली तक की गई जबकि पर्यावरण संरक्षण मंडल या कलेक्टर ने एक भी प्रकरण में न्यायालय में परिवाद दर्ज नहीं किया दायर नहीं कराया.
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि बिना हैंडल वाली पालीथीन का उपयोग पर भी पूरे प्रदेश में बैन लगाया जाए