शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश में एक ऐसा भी सरकारी महकमा है जहां सीनियर को जूनियर से भी कम वेतन मिल रहा है। इतना ही नहीं बल्कि बीते आठ सालों से यह वेतन विसंगति बरकरार है। मामला वन विभाग के वन कर्मियों का है। विभागीय कर्मचारी संगठनों ने एक बार फिर सरकार को पत्र लिखा है। साथ ही इसमें बताया गया है कि विभाग के अफसरों के मामले तो एक ही दिन में मंत्रालय से पूरे हो जाते हैं। लेकिन, कर्मचारियों के सालों तक अटके रहते हैं। ऐसे भी कई कर्मचारी हैं जो अधिकार की लड़ाई लड़ते-लड़ते सेवानिवृत हो गए। 

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पत्र में लिखा है कि वन विभाग में नई नियुक्ति और पुरानी नियुक्ति वाले वन कर्मियों को अलग-अलग वेतन दिया जा रहा है। इसके समायोजन की मांग को भी सरकार ने अनसुना कर दिया है। जूनियर कैडर को सीनियर से भी अधिक वेतन मिल रहा है। ऐसे कर्मचारियों की संख्या भी एमपी में चार हजार है। 

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कर्मचारी नेता अशोक पांडे ने बताया कि सरकार वन विभाग के कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। यही कारण है कि तमाम आंदोलन और पत्राचार के बाद भी जिम्मेदारों की नींद नहीं खुली है। संगठन पदाधिकारियों ने बताया कि 2014 की अधिसूचना पर अमल किया जा रहा है। ऐसे में सितंबर 2014 को भर्ती हुए कर्मचारियों को 5200-1800 वेतनमान मिल रहा है। लेकिन इसके बाद के कर्मचारियों को 5680-1900 वेतनमान मिल रहा है। मामले पर वन विभाग के कर्मचारी संगठनों ने जल्द अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी भी सरकार को दी है।

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