कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने जबलपुर में दो बावड़ियों का लोकार्पण किया है। जिसमें पहली बावड़ी रानीताल स्थित उजार पूर्वा और दूसरी बावड़ी प्रेम मंदिर गढ़ा बाजार के पास है। इस मौके पर पद्मश्री महेश शर्मा भी मौजूद रहे। इस दौरान मंत्री राकेश सिंह नेच कहा कि जल को सुरक्षित और संरक्षित करना हम सब की जिम्मेदारी है।
सोमवार को संस्कारधानी में मंत्री राकेश सिंह ने दो बावड़ियों का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा की ये जलाशय जिन्हें महारानी दुर्गावती ने अपनी प्रजा और क्षेत्र के भविष्य के बारे में सोचते हुए पानी के संसाधनों की श्रृंखला बनाई, लेकिन हम उन्हें एक के बाद एक भूलते चले गए, इसलिए मुझे लगा कि यहां की दो बावड़ियों को सवार सके तो ऐसा लगेगा कि हमने कुछ किया है। उन्होंने कहा कि जल की दिशा में जल के संरक्षण की दिशा में काम करते-करते प्रधानमंत्री मोदी का भी मार्गदर्शन मुझे मिला।
राकेश सिंह ने कहा कि इस दौरान पीएम मोदी को जब मैंने बावड़ी के बारे में बताता तो उन्होंने कहा था कि इनका निर्माण हो जाने के बाद इनका नाम जल मंदिर रखना और आज जल मंदिर के रूप में वह बावड़ियां विकसित हुई है, तो ऐसा लगता है कि जैसे एक सपना साकार हो गया और साथ में यह भी महसूस होता है कि हम सब यदि अपनी अपनी जिम्मेदारी को निभाएं तो जल के ऐसे अनेकों स्रोत को हम सुरक्षित और संरक्षित कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए सर्व समाज को आगे आने की आवश्यकता है।
गोंडवाना काल में कई बावड़ियां विलुप्ति की कगार पर
जिला प्रशासन, नगर निगम और जल संरक्षण की दिशा में काम कर रहे विभागों की उदासीनता के चलते शहर के कई ताल-तलैयों सहित प्राचीन ऐतिहासिक बावड़ियां भी विलुप्त की कगार पर पहुंच गई है। स्थानीय लोगों ने अधिकांश बावड़ियों को पूर दिया वहीं जो बाकी बची हुई है उसमें कचरा, कूड़ा डाल रहे हैं। आपको बता दें कि गोंडवाना काल में जबलपुर क्षेत्र में कई बावड़ियां बनवाई गई थीं। इतिहासकारों का मानना है कि जबलपुर व आसपास ऐसी बावड़ियों की संख्या 100 के करीब थीं। अकेले शहर में दो दर्जन से ज्यादा बावड़ियां गोंड शासकों ने बनवाई थीं।
एक दर्जन से ज्यादा बावड़ियां अब भी जीवित
शहर के अलग अलग जगह गढ़ा बजरिया, बदनपुर, लालकुआं, बादशा हलवाई मंदिर, रामपुर, उजार पूर्वा, गोपालबाग सहित अन्य जगहों पर बनी बावड़ियां दुर्दशा का शिकार हो चुकी हैं। लोग इसमें कचरा फेंक रहे हैं। जिसमें से गढ़ा बजरिया और उजार पूर्वा का मंत्री राकेश सिंह ने जल मंदिर के रूप में पुनर्जीवित कर दिया, लेकिन बात इतने भर से नहीं बनने वाली शहर की बाकी बावड़ी और जल स्रोतों को भी पुनर्जीवित और विकसित करने की जरूरत है।
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