कर्ण मिश्र, ग्वालियर। MP-एमएलए कोर्ट ने मानहानि केस में पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को दोषमुक्त किया है। कोर्ट ने सेक्शन 499 के अपवाद 9 के तहत दिग्विजय सिंह को बरी किया है। दिग्विजय सिंह ने 31 अगस्त 2019 को भिंड में पत्रकारों से चर्चा के दौरान BJP और RSS के कार्यकर्ताओं पर पाकिस्तान की ISI के लिए जासूसी का आरोप लगाया था। BJP कार्यकर्ता और एड अवधेश भदौरिया ने मानहानि का परिवाद दायर किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद मंगलवार को ग्वालियर जिला न्यायालय के एमपी एमएलए कोर्ट में पेश हुए। मानहानि मामले में पेश होने पहुंचे दिग्विजय सिंह को कोर्ट ने फाइनल सुनवाई के बाद दोष मुक्त कर दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि एडवोकेट अवधेश भदोरिया के द्वारा दायर किया गया परिवाद सेक्शन 499 के अपवाद 9 के तहत आता है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा की दूसरे के चरित्र पर आरोप लगाना मानहानि नहीं है। बशर्ते कि लांछन अच्छे विश्वास में उसके हितों की सुरक्षा के लिए लगाया जाए।
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दिग्विजय सिंह बोले- सत्यमेव जयते
कोर्ट से दोषमुक्त होने के बाद दिग्विजय सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ‘सत्यमेव जयते, सत्य की विजय होती है। मैंने जो बयान दिया था वह प्रमाणित है। मैं अपने बयान पर आज भी कायम हूं, क्योंकि ध्रुव सक्सेना आईटी सेल का अध्यक्ष और 14 बजरंग दल के लोग ISI से पैसा लेकर जासूसी करते हुए पकड़े गए थे। मेरा यह आरोप है कि उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा क्यों नहीं चलाया गया। उनकी जमानत हो गई उसके लिए अपील क्यों नहीं की गई?
अवधेश सिंह ने किया था मानहानि का केस दर्ज
गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने 31 अगस्त 2019 को भिंड में पत्रकारों से चर्चा के दौरान भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के साथ उन्हें पाकिस्तान के लिए जासूसी करने जैसा आरोप लगाया था। दिग्विजय सिंह के इस बयान के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी के नेता और एडवोकेट अवधेश सिंह भदोरिया ने एक परिवाद ग्वालियर कोर्ट में दायर किया, जिस पर एमपी एमएलए कोर्ट ने राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज किया था। इसके बाद मामले में लगातार सुनवाई जारी रही,कोर्ट ने फाइनली सुनवाई के बाद दिग्विजय सिंह को दोषमुक्त कर दिया।
जानिए सेक्शन 499 के अपवाद 9 के बारे में
अपवाद 9 के तहत माना जाता है कि ‘अपने या दूसरे के हितों की रक्षा के लिए किसी व्यक्ति द्वारा सद्भावपूर्वक लगाया गया आरोप दूसरे के चरित्र पर आरोप लगाना मानहानि नहीं है, बशर्ते कि लांछन अच्छे विश्वास में उसके हितों की सुरक्षा के लिए लगाया जाए।’
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