लखनऊ. शहर में समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में अनाथ मुस्लिम लड़कियों की हिंदू लड़कों से शादी कराई गई.  खास बात ये रही कि इस शादी से किसी को कोई दिक्कत नहीं है.

शहर के महानगर स्थित कल्याण भवन में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में 31 जोड़ों की शादियां हुईं. इनमे चार अनाथ मुस्लिम लड़कियों का विवाह हिंदू लड़कों के साथ हिंदू रीति रिवाज से किया गया. इस दौरान महिला बाल विकास मंत्री रीता बहुगुणा जोशी भी मौजूद रहीं.विवाह समारोह के एक दिन पहले सभी जोड़ों का स्पेशल मैरेज ऐक्ट के तहत कोर्ट में विवाह कराया गया फिर अगले दिन सभी का विवाह किया गया.

मुस्लिम नामों वाली लड़कियों की शादी हिंदू लड़कों से हिंदू रीति-रिवाज से की गई. सभी जोड़ों ने सात फेरे लिए, एक दूसरे को माला पहनाई, पंडितों ने मंत्र पढ़े और विवाह सम्पन्न हुआ. जिन चार मुस्लिम लड़कियों की हिंदू लड़कों से शादी हुई उनके नाम रिजवाना, नूरी, सीमा और सबा हैं.

रिजवाना की शादी शाहजहांपुर के राजकुमार से, नूरी की शादी अलीगढ़ के बबलू से, सीमा की शादी उमेश कुमार दीक्षित और सबा की शादी हरदोई के विजय सिंह के साथ हुई. डीपीओ सुधाकर पाण्डेय ने बताया कि शेल्टर होम में इन लड़कियों को 6-10 साल की उम्र में लाया गया था. इतने वर्षों तक शेल्टर होम में रहने के दौरान अब उन्हें अनाथ घोषित कर दिया गया. बालिग होने के बाद उनकी उम्र विवाह योग्य हो गई.

प्रशासन ने उनके लिए योग्य वर खोजने के लिए अखबारों में विज्ञापन दिया. सैकड़ों लड़कों ने शादी के लिए आवेदन किया. उनमें से कुछ लड़कों को शादी के लिए चयनित किया गया.

मुस्लिम लड़कियों की शादी हिंदू लड़कों से हिंदू रीति-रिवाज से कराए जाने के बारे में पूछे जाने पर सीडीओ मनीष बंसल ने कहा कि लड़कियों के नाम मुस्लिम हैं लेकिन बचपन से वे शेल्टर होम में रह रही हैं, किसी ने उनकी जाति या धर्म नहीं पूछा. वे मुस्लिम धर्म के कोई भी रीति-रिवाज नहीं मानती हैं. शादी के बाद वे अपने पति का धर्म मानेंगी.

चारों दुल्हनों में से एक सीमा ने बताया कि शादी से पहले उसे लड़के से मिलवाया गया था. उसके बारे में उसे सब बताया गया था. उसने हिंदू लड़के से शादी करना खुद स्वीकार किया है.