कांग्रेस के सीनियर नेता अधीर रंजन चौधरी ने चुनाव आयोग (ईसी) के ऐलान से पहले बड़ा दावा किया कि ज्ञानेश कुमार और बलविंदर संधू के नाम चुनाव आयुक्त के लिए तय हुए हैं.

बता दें कि अधीर रंजन चौधरी भी निर्वाचन आयुक्त के चयन से संबंधित समिति का हिस्सा हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली समिति ने दो चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए बैठक की. बैठक के बाद समिति के सदस्य अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि समिति के समक्ष छह नाम रखे गए थे जिनमें से इन दो नामों पर मुहर लगाई गई. अधीर रंजन ने कहा, “पूर्व नौकरशाह एसएस संधू और ज्ञानेश कुमार के नामों को चुनाव आयुक्तों के तौर पर अंतिम रूप दिया गया.”

मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार जिसे चाहेगी, वो ही चुनाव आयुक्त बनेंगे. अधीर रंजन चौधरी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि समिति में सरकार के पास बहुमत है और इस वजह से सरकार अपने पसंद के नाम तय कर सकती है. भारत जैसे लोकतंत्र में इतने बड़े पद पर नियुक्ति इस तरीके से नहीं होनी चाहिए. मुझे बैठक से 10 मिनट पहले छह नाम दिए गए, ऐसे में, मैं इतने कम समय में क्या बताऊंगा?

बैठक में प्रधानमंत्री और अधीर रंजन चौधरी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए. कांग्रेस नेता ने चयन समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को शामिल करने वाले कानून को लेकर केंद्र पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ”भारत के मुख्य न्यायाधीश को इस समिति में होना चाहिए था.” उन्होंने कहा कि पिछले साल लाए गए कानून ने बैठक को महज एक ”औपचारिकता” तक सीमित कर दिया है. पैनल में सरकार बहुमत में है. वे जो चाहते हैं वही होता है.”

आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है. यह चुनौती एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) ने दी है. एडीआर ने मांग की है कि पुराने नियमों के तरह चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति में मुख्य न्यायाधीश को शामिल किया जाए. सुप्रीम कोर्ट एडीआर की याचिका पर जल्द सुनवाई कर सकता है.