दुनिया में MP की धाक: यूनेस्को ने ग्वालियर के किले को वर्ल्ड हेरिटेज कैटेगरी में किया शामिल

मध्य प्रदेश के ग्वालियर को बड़ी सौगात मिली है, यूनेस्को ने ग्वालियर के ऐतिहासिक किले को हेरिटेज कैटेगरी में शामिल किया है।

यूनेस्को ने हेरिटेज कैटेगिरी की अस्थाई सूची में किले को शामिल कर लिया है। यूनेस्को की हेरिटेज कैटेगरी में जगह मिलने से पर्यटन बढ़ेगा।

ख़ास बात यह भी है कि नवंबर 2023 में यूनेस्को ने ग्वालियर को  "सिटी आफ म्यूजिक" का दर्जा भी दिया था।

15वीं शताब्दी का ग्वालियर का किला मानसिंह महल के नाम से जाना जाता है, यह हिंदुस्तान का पहला ऐसा किला माना जाता है जो पूरी तरह से हिंदू स्थापत्य शैली में बलुआ पत्थर से बनाया गया है।

क्यों खास है ग्वालियर किला?

इस किले की लंबाई साढ़े 3 किलोमीटर और ऊंचाई 300 फीट है। यह किला हिंदुस्तान के बड़े किलो में शुमार है।

क्यों खास है ग्वालियर किला?

किले की सबसे पहले नींव छठी शताब्दी में राजपूत योद्धा सूरज सेन के जरिए रखी गई थी। अलग-अलग शासको के जरिए आक्रमण और शासन करने के बाद तोमर वंश ने 1398 में किले पर कब्जा किया।

क्यों खास है ग्वालियर किला?

तोमरो में सबसे प्रसिद्ध मानसिंह थे, उन्होंने किले के अंदर कई स्मारकों को बनवाया था, यही वजह है कि विश्व के मानचित्र पर अब ग्वालियर का किला भी धमकेगा।

क्यों खास है ग्वालियर किला?