बनारस में मनाई जाने वाली मसान की होली का क्या है इतिहास....

बनारस की मसान की होली को ‘चिता भस्म होली’ कहा जाता है, एक अनोखी और प्राचीन परंपरा है.

काशी की मसान की होली एक अनोखा और अद्भुत त्योहार है जो हर साल होली के दिन मनाया जाता है.

यह त्योहार मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना जाता है.

ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने मृत्यु के देवता यमराज को पराजित करने के बाद मसान में होली खेली थी.

इस घटना को यादगार बनाने के लिए, बनारस के लोग हर साल मसान की होली खेलते हैं.

यह त्योहार दो दिनों तक चलता है. पहले दिन लोग चिता भस्म इकट्ठा करते हैं और दूसरे दिन होली खेलते हैं.

भगवान शिव ने मसान की होली की शुरुआत की थी. ऐसा माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शंकर माता पार्वती का गौना कराने के बाद उन्हें काशी लेकर आए थे.

तब उन्होंने अपने गणों के साथ रंग-गुलाल के साथ होली खेली थी, लेकिन वे श्मशान में बसने वाले भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर जीव जंतु आदि के साथ होली नहीं खेल पाए थे.

इसलिए रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद भोले शंकर ने श्मशान में रहने वाले भूत-पिशाचों के साथ होली खेली थी.

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