भुवनेश्वर: गर्मियों के दिनों में तरह-तरह के व्यंजन खाए जाते हैं. वहीं ओडिशा में भी एक एसा व्यंजन है जिसे गर्मियों में बड़े ही चाव से खाया जाता है. इसका नाम है पखाल. जो कि स्वास्थ्यवर्धक होता है. पखाल यानी किण्वित चावल न केवल आपको गर्मियों में ठंडा रखता है बल्कि आपके पाचन तंत्र के लिए भी बेहद फायदेमंद है. पखाल संस्कृत शब्द ‘प्रख्याला’ से आया है. जिसका अर्थ है ‘पानी से धोना’. परंपरागत रूप से इसे मिट्टी के बर्तन में बचे हुए चावल को थोड़े से पानी और थोड़ी मात्रा में दही/नींबू के साथ रखकर तैयार किया जाता था. 7-8 घंटों के बाद चावल किण्वित हो जाता है और पखाल में बदल जाता है.
लोगों ने इस व्यंजन में कई तरह के स्वाद मिलाकर इसे खाने के अलग-अलग तरीके आजमाए हैं. दुनिया भर में उड़िया समाज के लोग हर साल 20 मार्च को पखाल दिबासा मनाते हैं. यहां कुछ प्रकार के पखला हैं जिन्हें आप पखाल दिबस के अवसर पर आज़मा सकते हैं.
बासी पखाल – यह मूल पखाल जो तैयारी की पारंपरिक विधि से बनाया जाता है. लोग इसे बड़ी-चूरा के साथ खाते हैं. जो चावल और उड़द दाल से बनाया जाता है. कटे हुए प्याज और नींबू इस सादी बड़ी का स्वाद बढ़ाते हैं और यह पखाल के साथ एक उत्तम साइड-डिश है.
सज पखाल – यह ताजा पखाल है. ताजे पके चावल में नींबू की बूंदों के साथ पानी मिलाया जाता है. इसमें किण्वन की आवश्यकता नहीं होती है और नींद भी नहीं आती है. यही कारण है कि लोग इसे सबसे अधिक पसंद करते हैं.
दही पखाल – जैसा कि नाम से पता चलता है, ताजा और स्वस्थ भोजन के लिए चावल में फेंटा हुआ दही थोड़ा पानी के साथ मिलाया जाता है.
सुगंधी पखाल– नमकीन पानी में डूबे हुए पके हुए चावल में कटा/कसा हुआ अदरक और भुना हुआ जीरा मिलाया जाता है. यह सुगंधित पखाल को एक अनूठी सुगंध देता है.
चुपुड़ा (निचोड़ा हुआ) पखाल– नाम के अर्थ के समान, पके हुए चावल को पानी में धोकर निचोड़ा जाता है. इसके बाद इसमें दही, भुना जीरा और नमक डालकर परोसा जाता है. कुछ लोग इसमें कसा हुआ अदरक भी मिलाते हैं.
मीठा पखाल- एक बहुत ही असामान्य और अलोकप्रिय प्रकार, मीठा पखाल मीठा होता है. पके हुए चावल में संतरे और भुने हुए जीरे के साथ पानी मिलाना इसे अनोखा बनाता है.
दही-बैगन, कखारू फुल भजा, मसले हुए आलू, तली हुई मछली/झींगा, सुखुआ और साग भजा जैसे विभिन्न साइड डिशों का आनंद बहुत स्वादिष्ट और सुखदायक पखाल के साथ लिया जा सकता है.
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