गांधीनगर। कांग्रेस से नाराज चल रहे शंकर सिंह वाघेला ने कांग्रेस से नाता तोड़ते हुए नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मुझे 24 घंटे पहले ही निकाल दिया था. विनाशकाले विपरीत बुद्धि, लेकिन लोग हमारी संजीवनी हैं. मैं 77 नॉटआउट हूं. आरएसएस से मेरा पुराना नाता रहा है, मुझे सत्ता की लालसा नहीं है. मुझे भगवान शंकर ने विष पीना सिखाया है.
वहीं कांग्रेस ने इस पूरे मामले पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने वाघेला पर कोई कार्रवाई नहीं की. उन्हें नहीं निकाला गया. पूरे घटनाक्रम पर हमारी नजर बनी हुई है.
आज उनका जन्मदिन है और इस मौके को वह शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भुनाना चाहते थे. इससे पहले गुरुवार को वह दिल्ली में थे. उनके इस दौरे को कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा था. इस साल के आखिर में गुजरात में चुनाव होने हैं और वाघेला चाहते थे कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर दे, लेकिन गुजरात कांग्रेस इस पर दो गुटों में बंटा हुआ था, शंकर सिंह वाघेला बनाम भरत सिंह सोलंकी.
वैसे उन्होंने पिछले महीने भाजपा में घर वापसी की अटकलों को विराम देते हुए गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने साफ किया था कि वे बीजेपी में नहीं जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी की कार्यप्रणाली को लेकर आक्रोश जताया था. शंकर सिंह वाघेला ने कहा था कि पार्टी नेतृत्व अगर गुजरात में इसी तरह ‘आत्मघाती मार्ग ‘ पर चलती रही तो वह उनके पीछे नहीं जाएंगे. वाघेला ने यह भी कहा था कि उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारी की जरूरत के बारे में अपनी बात रखी है लेकिन राज्य के अन्य नेता ‘उन्हें कांग्रेस से बाहर करने के लिए काम कर रहे हैं. राज्य में इस वर्ष के आखिर में चुनाव होना है. कांग्रेस नेतृत्व को आड़े हाथ लेते हुए ‘दूरदर्शिता’ का अभाव होने की बात कही थी. गौरतलब है कि आलाकमान ने उनको आगामी चुनाव से पहले पूरी छूट देने से इनकार कर दिया था.