नई दिल्ली. सौर मंडल के सबसे छोटे ग्रह और सूर्य के सबसे करीब स्थित ग्रह बुध (Mercury) के रहस्यों को जानने के लिए यूरोप और जापान ने मिलकर बेपीकोलंबो के नाम से संयुक्त अभियान शुरू किया है. इस खोजी अभियान के लिए रविवार को फ्रेंच गुयाना के कोरू से यूरोपिय स्पेस एजेंसी ने उपग्रह लांच किया है, जो 2025 तक ग्रह के पास पहुंचेगी.
आखिर सूर्य की 88 दिनों में एक परिक्रमा पूरा करने वाले बुध ग्रह का आखिर ऐसा कौन का रहस्य है, जिसकी यूरोप की यूरोप स्पेस एजेंसी और जापान की जापान एरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी जानने के लिए लाखों डॉलर खर्च करने जा रहे हैं. दरअसल, अभी भी हमें मंगल (Mars) और शुक्र (Venus) ग्रह के अलावा अन्य ग्रहों के बारे में हमें ज्यादा जानकारी नहीं है. ऐसे ही ग्रहों में शामिल बुध ग्रह के जिन रहस्यों से बेपीकोलंबो की यात्रा से पर्दा उठ सकता है. उसे जानते हैं…
ग्रह में बर्फ की मौजूदगी
बुध ग्रह भले ही सूर्य के सबसे निकट हो लेकिन इस उखड़-खाबड़ सतह वाले ग्रह के अनेक हिस्से ऐसे हैं, जहां कभी सूर्य की रोशनी तक नहीं पहुंची है, और ये हिस्से इतने ठंडे है जहां बर्फ जम जाए. खगोलशास्त्री मानते हैं कि ऐसे स्थानों पर बर्फ जमा हो सकती है, लेकिन साथ ही यह सवाल भी है कि आखिर बर्फ के लिए पानी कहां से आया.
ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र
सूर्य का तीन बार चक्कर (साल) में अपनी धुरी पर केवल दो बार (दिन) घूमने वाले बुध ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र भी एक बड़ा रहस्य है. हालांकि, यह पृथ्वी की तरह ही है, लेकिन पृथ्वी की तरह ग्रह के केंद्र में न होकर भूमध्य रेखा के उत्तर में सैकड़ों किमी दूर स्थित है. यह हमारे सौरमंडल के लिहाज से विशेष है, जिसे अभी तक सही तरीके से समझा नहीं जा सका है. इसके अलावा बुध ग्रह का महीन चुंबकीय क्षेत्र, बाहरी सतह और अंदरूनी संरचना जैसे अनेक रहस्य हैं, जिसका बेपीकोलंबो अभियान के जरिए खुलासा होने की उम्मीद है.
सात साल का सफर
बेपीकोलंबो अभियान में दो उपग्रहों के जरिए बुध ग्रह के रहस्यों की पड़ताल की जाएगी. एक उपग्रह यूरोप स्पेस एजेंसी का तो दूसरा जापान की स्पेस एजेंसी का. सात साल की अवधि में उपग्रह 9 अरब किमी की दूरी तक बुध ग्रह के निकट तक पहुंचेंगे. सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बचने और बुध की तेज परिक्रमा के हिसाब से सामंजस्य बिठाने के लिए उपग्रह एक बार पृथ्वी का, दो बार शुक्र ग्रह का, छह बार बुध ग्रह का और 18 बार सूर्य का चक्कर लगाएगा.