शिखिल ब्यौहार, भोपाल. मध्यप्रदेश की लोकसभा चुनावों की सियासी सरजमीं पर कांग्रेस ने दो मुद्दों के बीच बोए थे..इन मुद्दों को कांग्रेसियों ने भरपूर खाद-पानी भी दिया..लेकिन न तो फसल मिली न ही कांग्रेस इन्हें काट पाई। दरअसल, यहां बात हो रही है जातिगत जनगणना और पिछड़े वर्ग के मुद्दे की। इन दोनों ही मुद्दों को उछालने के बाद भी हवा नहीं मिल सकी।

दरअसल, इन दोनों मुद्दों को पांच राज्यों में हुए बीते विधानसभा चुनावों के अलावा विशेष तौर पर लोकसभा चुनावों के लिए तैयार किया गया। दिल्ली से हुई इन मुद्दों की शुरुआत हुई। फिर पिछले साल राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा और बीते माह भारत जोड़ों न्याय यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश में इन मुद्दों पर खास फोकस रहा। पूरी तैयारी के साथ राहुल समेत तमाम कांग्रेसी दिग्गजों ने इन मुद्दों पर अपनी बात कही। लेकिन, कांग्रेस के लिए यह मुद्दे मानों ढाक के तीन पात।

कांग्रेस की प्लानिंग की ऐसी मिस्टेक

राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि ओबीसी और जातिगत गणना को कांग्रेस ने मुद्दा बनाने का प्रयास किया तो बीजेपी ने इसे जमकर भुनाया। प्रदेश में उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान तो अब डॉक्टर मोहन राहुल यादव को मुख्यमंत्री बनाया। इसके अलावा प्रहलाद पटेल, उदय प्रताप सिंह, नरेंद्र शिवाजी पटेल, कृष्णा गौर सहित अन्य नेताओं को पार्टी ने बेस सूची में शामिल किया। लेकिन, जातिगत जनगणना और पिछड़े वर्ग की बात करने वाली कांग्रेस एमपी पॉलिटिक्स को ही नहीं भांप पाई। बीजेपी के मुकाबले यदि समीकरणों को देखा जाए तो कांग्रेस में ऐसे ओबीसी वर्ग के नेताओं की संख्या बेहद कम रही जिन्हें पार्टी ने आगे बढ़ाया। लिहाजा कांग्रेस के वार पर बीजेपी का पलटवार अकसर भारी पड़ा।

जाति पर जीत के लिए बीजेपी का ऐसा फोकस

  • सीएम डॉक्टर मोहन यादव की कैबिनेट में 11 मंत्री ओबीसी के हैं।
  • पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद ओबीसी से तो उनकी 34 कैबिनेट में 12 मंत्री ओबीसी के थे।
  • जबकि 2019-20 में कमलनाथ सरकार की 29 सदस्यीय कैबिनेट में ये आंकड़ा 07 का था।
  • पीएम मोदी भी ओबीसी वर्ग से आते हैं, उनकी कैबिनेट में 27 मंत्री इसी वर्ग से आते हैं।
  • मध्य प्रदेश में कांग्रेस के साथ यह मुश्किल है कि उसके पास ओबीसी वर्ग से गिने- चुने चेहरे हैं।
  • कांग्रेस ने भी माना चूक तो हुई, अब बता रही दूरगामी मुद्दा

एमपी कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि जब वर्ष 1857 से देश की आजादी की शुरुआत हुई थी और 100 साल बाद 1947 में आजादी मिली। जो राष्ट्र से जुड़े बड़े मुद्दे हैं उन्हें धरातल पर आने में समय लगता है। क्योंकि बीजेपी ने धर्म की अफीम का नशा जिस तरह देश की जनता को दिया है उससे उतरने में अभी समय लगेगा।

बीजेपी ने कहा कांग्रेस ही अप्रासंगिक, प्रभावी नेता तक नहीं

एमपी बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने बताया कि जनता में प्रभाव तब होता है जब प्रभारी व्यक्ति इसे कहे। कांग्रेस के न तो मुद्दे प्रभारी हैं न ही उन्हें भुनाने वाले नेता। अविश्वसनीयता की चरम पर कांग्रेस है। जातिगत जनगणना और ओबीसी के मामलों को लेकर 75 सालों तक कांग्रेस की सरकारों ने क्या किया। सिर्फ एक विशेष वर्ग के दम पर राजनीति करने वाली कांग्रेस को इन मुद्दों की चुनावों में ही जरूरत पड़ी। जनता सब जानती है।

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