Rajasthan News: ऐतिहासिक शहर दौसा शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ रहा है। राजेश पायलट ने तो इस जिले को कांग्रेस का अभेद्य किला बना दिया था। मगर तब से अब तक में बेहद बदलाव आया है। समय के साथ अब यहां परिस्थिति भी बदली है।
पिछले 2 लोकसभी चुनाव से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इस दफे भी बीजेपी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मैदान में उतरी है। कांग्रेस अपनी इस सीट को वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है। कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट इस सीट पर सक्रिय होकर रूठों को मना रहे हैं।
दौसा लोकसभा क्षेत्र का गठन जयपुर जिले की दो, अलवर की एक और दौसा जिले की पांच विधानसभा सीटों को मिलाकर किया गया है। इनमें 5 विधायक बीजेपी के ही है. वहीं बाकी तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में यहां से बीजेपी के हरीश मीणा और साल 2019 में बीजेपी ने जसकौर मीणा को जीत मिली।
इस लोकसभा सीट पर पहला लोकसभा चुनाव साल 1952 में हुआ था। पहली बार कांग्रेस के राज बहादुर सांसद चुने गए थे। बाद में 1957 में कांग्रेस के ही जीडी सोमानी सांसद बनाए गए। 1962 में हुए तीसरे चुनाव में यह सीट स्वतंत्र पार्टी के पृथ्वीराज ने कांग्रेस से झटक ली। 67 के चुनाव में भी यह सीट स्वतंत्र पार्टी के पास रही और सांसद आरसी गनपत चुने गए थे। बाद में 968 के चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा से इस सीट पर कब्जा किया नवल किशोर शर्मा दो बार लगातार जीत चुके हैं। 1977 में जब चुनाव हुए तो यहां से जनता पार्टी के नाथू सिंह गुर्जर सांसद चुने गए थे, लेकिन 80 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस के नवल किशोर शर्मा जीते।
1984 के चुनाव में पहली बार राजेश पायलट इस सीट से मैदान में उतरे और 89 के चुनाव को छोड़ कर 1999 तक हुए सभी चुनाव जीतते रहे। फिर 2000 में हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी रामा पायलट यहां से सांसद बनी और 2004 में सचिन पायलट ने यहां से नेतृत्व किया। चूंकि 2009 के चुनाव से पहले सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हो गए, वहीं यह सीट भी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गईथ तब स्वतंत्र उम्मीदवार किरोड़ी लाल मीणा को इस सीट से जीत मिली। इसके बाद 2014 से यह सीट बीजेपी के पास है।
राजनीतिक गणित
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की आबादी करीब 362,925 है। अनुसूचित जनजाति के मतदाता 25.9 फीसदी यानी करीब 445,487 हैं। इस सीट पर मुस्लिम वोटर करीब 43,318 हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में 88.6 फीसदी यानी 1,523,943 वोटर गांवों में रहते हैं। 2019 के संसदीय चुनाव के वक्त यहां मतदाताओं की कुल संख्या 1720026 थी।
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