रायपुर। सीएम विष्णुदेव साय के बचपन के दोस्त पद्मश्री जागेश्वर यादव यदुवंशी महासंघ के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं. प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति होने की खबर जैसे ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को लगी तब मुख्यमंत्री ने दूरभाष के माध्यम से जगेश्वर यादव को बधाई एवं शुभकामनाएं दी. इस दौरान सीएम साय की धर्मपत्नी कौशिल्या साय ने भी बधाई दी. यादव यदुवंशी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने पर जगेश्वर यादव ने कहा कि मैं अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगाऊंगा. पदमश्री जगेश्वर यादव को प्रदेश अध्यक्ष बनने पर बधाई देने का सिलसिला लगातार जारी है.
अंतरराष्ट्रीय यदुवंशी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयसिंह यादव यदुवंशियों को आगे बढ़ाने और शासन की सभी योजनाओं का हर एक यादव बंधुओं को लाभ मिले इसके लिए सभी राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर रहे हैं. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में भी यादव समाज को आगे बढ़ाने के लिए पदमश्री जगेश्वर यादव ने अपने पुरे जीवन समाज सेवा मे निस्वार्थ भाव सम्पूर्ण जीवन लगा दिए. इसे देखकर राष्ट्रीय अध्यक्ष जयसिंह यादव ने उन्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया.
प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने पर जगेश्वर यादव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जयसिंह यादव और छत्तीसगढ़ प्रभारी राष्ट्रीय सचिव अजीत यादव सहित सभी राष्ट्रीय पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया गया है. साथ ही कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जयसिंह यादव ने मुझे जो इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है मैं अपने पद का गरीमा बनाकर रखूंगा और हमारे छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर तक बसे हमारे यादव भाईयों का हर सम्भव सहयोग और मार्ग दर्शन करते हुए राज्य सरकार योजनाओं का लाभ दिलाऊंगा. हमारे यादव बंधुओं को जो भी समस्या रहेगा सभी समस्या का हल निकालने के लिए मैं 24 घंटे समाज सेवा में लगा रहूंगा. उन्होंने आगे कहा कि मैं अपने पूरे जीवन समाज सेवा में बिताया है. इसलिए लोगों से मुझे हर जगहों पर सम्मान मिल रहा है. आज जो मुझे पद्मश्री से सम्मानित हुआ हूं सब भगवान श्री राधा कृष्णा के आशिर्वाद से मिला है और आप सभी लोगों के सहयोग और प्यार से प्राप्त हुआ हैं. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ही हमारे प्रदेश बाडी और जिला अध्यक्ष लोगों का नियुक्ति करूंगा.
जानिए पद्मश्री जागेश्वर यादव की कहानी
जागेश्वर यादव को 25 जनवरी 2024 की शाम पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की गई है. जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ था. बचपन से ही इन्होंने बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी. जानकारी के मुताबिक घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित थे. जागेश्वर ने इनके जीवन को बदलने का फैसला किया. इसके लिए सबसे पहले उन्होंने आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया. उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा. इसके बाद उन्हें शिक्षा की अलख जगाई, और स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया.
जागेश्वर यादव ‘बिरहोर के भाई’ के नाम से चर्चित हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जब उन्हें बुलाया था तो वह उनसे मिलने नंगे पाव ही चले गए थे. जागेश्वर को 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान मिल चुका है. जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने इसके लिए जशपुर में एक आश्रम की स्थापना की है. साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है. उनके प्रयासों का नतीजा था कि कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जा सकी. इसके अलावा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिली. आर्थिक कठिनाइयों की वजह से यह सब आसान नहीं था. लेकिन उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक रहा.
जागेश्वर यादव ने बिरहोर जनजाति को लेकर बताया था कि पहले बिरहोर जनजाति के बच्चे लोगों से मिलते जुलते नहीं थे. बाहरी लोगों को देखते ही भाग जाते थे. इतना ही नहीं जूतों के निशान देखकर भी छिप जाते थे. ऐसे में पढ़ाई के लिए स्कूल जाना तो बड़ी दूर की बात थी. लेकिन अब समय बदल गया है. जागेश्वर यादव के प्रयासों से अब बिरहोर जनजाति के बच्चे भी शिक्षित हो रहे हैं.
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