कुमार इंदर,जबलपुर। ग्राम पंचायत को वनों का पेड़ काटने के अधिकार दिए जाने के राज्य सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इस मामले में हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। डाक्टर पी जी नाजपांडे एवं रजत भार्गव द्वारा उच्च न्यायालय में मध्य प्रदेश शासन द्वारा मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता नियम 2020 में किए गए संशोधन की वैधानिक को चुनौती दी है।
अधिकार असंवैधानिक और अवैध
अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने न्यायालय में बताया कि 2020 के नियम के द्वारा निजी भूमि पर लगे पेड़ काटने की अनुमति दिए जाने के अधिकार तहसीलदार से वापस लेकर ग्राम पंचायत को दिए गए अधिकार असंवैधानिक और अवैध है। उन्होंने बताया कि क्योंकि कार्यपालक दंडाधिकारी के अधिकार जनता के चुने हुए पदाधिकारी को दिया जाना भू राजस्व संहिता एवं भारत के संविधान की मंशा के विपरीत है। क्योंकि जनता के चुने हुए व्यक्ति से निष्पक्ष व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। उसका प्रत्यक्ष रूप से ग्राम के प्रत्येक व्यक्ति से हित रहता है। वोट के लालच में अपने मतदाता को खुश नहीं कर सकता है।
सूचना के अधिकार के तहत प्रमाण
याचिकाकर्ता ने न्यायालय में सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त चार ग्राम पंचायत द्वारा एक सप्ताह के अंदर 1700 पेड़ काटने की अनुमति दिए जाने के प्रमाण भी प्रस्तुत किए है। उक्त संशोधन जनता की चुने हुए प्रतिनिधियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से कार्यपालिका के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप की श्रेणी में आता है तर्कों से सहमत होते हुए माननीय मुख्य न्यायाधीश रवि माली मत एवं विशाल मिश्रा ने चार सप्ताह में जवाब पेश करने कहा है।
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