धान की कटाई के बाद खेतों में बचने वाली पराली जलाना समस्या बन जाता है. वैज्ञानिकों ने इस समस्या से छुटकारा दिलाने के साथ ही खेती की लागत कम करने के तीन मशीनों को जोड़कर ‘सुपर सीडर’ Super seeder मशीन बनाई है. इसमें एक प्रेस व्हील्स के साथ रोटरी टिलर और सीड प्लांट को जोड़ा गया है. इसका इस्तेमाल गेहूं, धान और चना जैसे बीज बोने के लिए किया जाता है. साथ ही इस मशीन का गन्ना, कपास, मक्का, केला जैसी कई फसलों के ठूंठो को हटाने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
सुपर सीडर अकेले ही एक साथ 4-5 मशीन का काम कर सकती हैं। धान की जब कटाई हो जाती हैं तो उसके बाद अगली फसल की बिजाई करने के लिए मल्चर का प्रयोग किया जाता हैं फिर साइल टर्निंग प्लो के द्वारा आगे का काम किया जाता हैं। इसके बाद खेत को अच्छे से तैयार करने के लिए लेज़र लैंड लेवलेर और रोटावेटर का उपयोग किया जाता हैं लेकिन सुपर सीडर मशीन इन सभी मशीनों का काम अकेले करते हुए फसलों की बिजाई करती हैं।
क्या है सुपर सीडर मशीन?
सुपर सीडर मशीन एक मल्टी टास्किंग मशीन है. ये मशीन बुआई, जुताई, मल्चिंग और खाद फैलाने का काम एकसाथ कर देती है. आसान शब्दों में कहें तो इस मशीन के इस्तेमाल से खेती के काम बेहद आसान हो जाते हैं. इसके अलावा सुपर सीडर खेत को तैयार करने में लगने वाले समय को कम देता है और लागत को घटा देता है. इससे किसानों के समय और पैसे दोनों की बचत हो जाती है. यही नहीं, सुपर सीडर पराली को जलाए बिना नष्ट कर देती है. वैज्ञानिकों का कहना है कि सुपर सीडर के इस्तेमाल से पराली प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है.
सुपर सीडर की कीमत और सब्सिडी
सुपर सीडर की कीमत तीन लाख रुपये के आसपास होती है. अलग अलग राज्य सरकार सुपर सीडर मशीन की खरीदारी पर किसानों को 40 से 80 फीसदी तक सब्सिडी देती है. ये मशीन एक घंटे में एक एकड़ जमीन में फैली पराली को नष्ट कर देती है. इसके बाद गेहूं की बुआई करती है. सुपर सीडर प्राइस 80,000 से 2.99 लाख* रुपये है।
कैसे काम करती है सुपर सीडर मशीन
किसानों को एक फसल के बाद दूसरी फसल की बुआई के लिए जुताई करनी होती है. जुताई के बाद खेत बिजाई के लिए तैयार होता है. वहीं, सुपर सीडर से सीधे धान की फसल की कटाई के बाद खड़ी हुई या पड़ी हुई पराली पर बिजाई की जा सकती है. ये मशीन पराली को टुकड़ों में काटकर मिट्टी के नीचे दबा देती है और उसके ऊपर से गेहूं या सरसों की बिजाई के लिए बीज भी डालती है. मिट्टी में दबी पराली गलकर खाद बन जाती है. इससे जमीन की उर्वरक शक्ति बढ़ती है और पैदावार भी ज्यादा होती है. इससे जमीन की पानी सोखने की ताकत भी बढ़ जाती है.
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