कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। इंडियन एसोसिएशन ऑफ लॉयर के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे देश के विख्यात सुप्रीम कोर्ट के लॉयर प्रशांत भूषण आज ग्वालियर पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस के घोषणा पत्र में EVM-VVPAT से जुड़े उस मुद्दे का समर्थन किया है और कहा कि मतदान EVM के जरिए होंगे, लेकिन VVPAT की पर्ची से मिलान किया जाएगा। उन्होंने इलेक्टोरल बांड, केजरीवाल गिरफ्तारी और सबसे बड़े फ्रीबीज मुद्दे पर भी बड़ी बात कही है।

VVPAT का शीशा ट्रांसपेरेंट ही होना चाहिए

कांग्रेस की घोषणा पत्र में शामिल VVPAT की पर्ची से मिलान के मुद्दे पर प्रशांत भूषण ने कहा कि VVPAT की पर्ची से मिलान बिल्कुल हो सकता है अगर उसकी शीशा ट्रांसपेरेंट कर दिया जाए। अगर उसका काला शीशा होगा तो उसके मिलान से भी बात नहीं बन पाएगी क्योंकि उसमें भी मेनूपुलेट किया जा सकता है। चुनाव आयोग के नियम में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि VVPAT का शीशा ट्रांसपेरेंट ही होना चाहिए फिर भी उसके खिलाफ जाकर उसे काला कर दिया गया है ताकि बाहर से उसके अंदर का नहीं देखा जा सकता है। यह सीधे-सीधे गड़बड़ी की ओर इशारा करता है।

EVM भी मैनिपुलेट हो सकता है

प्रशांत भूषण ने विपक्ष के नेताओं के EVM पर खड़े किए जा रहे सवालों का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल है जो अभी पेंडिंग है। उस पिटीशन के जरिए यही मांग की जा रही है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन भी मैनिपुलेट भी हो सकती है क्योंकि उसमें प्रोग्रामेबल चिप रहती है और VVPAT भी मैनिपुलेट हो सकती है क्योंकि उसमें भी प्रोग्राम चिप होती है और उसका शीशा भी पहले ट्रांसपेरेंट था। अब उसे ब्लैक कर दिया गया है। 2017 के बाद इसे काला कर दिया गया जिससे बाहर से अंदर कुछ देखा ही नहीं जा सकता है जब तक अंदर का बल्ब न जले। और बल्ब भी सिर्फ 7 सेकंड के लिए जलता है। ऐसी स्थिति में यह तय कर पाना बहुत कठिन होता है कि दिया गया वोट सही दल को गया है या नहीं? दुनिया भर के कई देश इस पर रोक भी लगा चुके हैं और वापस बैलट पेपर पर लौट आए हैं। 

फ्रीबीज सरकार अनाउंस ना कर सके

प्रशांत भूषण ने देश और अलग-अलग राज्यों में सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने वाले फ्रीबीज मुद्दे पर भी अपनी बात रख। उन्होंने इसका समर्थन करते हुए कहा कि यह दो तरह की होती है।  पहली वो जो वास्तविकता में गरीब लोगों के लिए दी जाती है, दूसरी वह जो सिर्फ दिखावे के लिए चुनाव से पहले दिखाई जाती है और चुनाव के बाद उसे विड्रॉ कर लिया जाता है। कायदे से इसमें रूल यह होना चाहिए कि इलेक्शन से कुछ महीने पहले इस तरह के फ्रीबीज सरकार अनाउंस ना कर सके। सरकारें उसे अपने मेनिफेस्टो में शामिल कर सकते हैं। वादा कर सकते हैं कि पावर में आएंगे तो उसका लाभ जनता को देंगे लेकिन चुनाव से कुछ महीने पहले फ्रीबीज का लाभ देना ये गलत है। बहुत सारे गरीब लोगों को वास्तविकता में सब्सिडी की जरूरत होती है। हेल्थ एजुकेशन जैसे कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां उनको जरूरत होती है लेकिन इस बात का ख्याल रखना बहुत जरूरी है कि इलेक्शन से ठीक पहले लगभग चार से छह महीने पहले तक एकदम से फ्रीवीज अनाउंस औऱ लागू नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए उपयोग में ली जाती है।

नाव किस हालात में हो रहे हैं यह सारा देश देख रहा है

प्रशांत भूषण ने इलेक्टोरल बांड को लेकर भी कहा कि देश में चुनाव होने वाले हैं और चुनाव किस हालात में हो रहे हैं यह सारा देश देख रहा है। एक तरफ देश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी है, उसके पास बेतहाशा पैसा है। यह पैसा कहां से आया इलेक्टोरल बॉन्ड के खुलासे से साफ भी हो गया है। किस कंपनी ने बॉन्ड खरीदे और किस पार्टी ने उस बांड को कैश कराया है इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट के जरिए सामने आ चुकी है। इसके बाद साफ हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने वसूली और घूस के तौर पर यह बॉन्ड केश कराए है। बहुत सारी कंपनियों पर ED, IT और CBI की रेड की गई। इसके बाद करोड़ों के इलेक्टोरल बॉन्ड उन कंपनियों से लिए गए। और जब उन्हें कैश कर लिया गया तो फिर उन रेड और जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। ऐसे हालात के चलते ही सवाल उठ रहा है कि क्या यह चुनाव निष्पक्ष हो रहा है।

केजरीवाल ने घोटाला किया या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता

केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर उन्होंने कहा कि हाल ही में 25 से ज्यादा बड़े नेताओं पर बड़ी स्वतंत्र जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की थी लेकिन जब उन्होंने भाजपा को ज्वाइन कर लिया तो अचानक सभी जांच रुक गई। अरविंद केजरीवाल ने घोटाला किया या नहीं, यह नहीं कहा जा सकता। लेकिन जो उनके खिलाफ सबूत पेश किए गए हैं वह एक अप्रूवल का ओरल स्टेटमेंट है कोई ठोस डॉक्यूमेंट्री एविडेंस नहीं है। ऐसे व्यक्ति के स्टेटमेंट पर यदि आप किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लेंगे तो यह जांच एजेंसियों का दुरुपयोग है।

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