शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट पर मिशन लोटस के तहत कांग्रेसी नेताओं की बीजेपी में एंट्री का सिलसिला जारी है। लेकिन, बीजेपी में शामिल होने के बाद भी कांग्रेस के नेताओं के बयानों की परस्ती में कमलनाथ ही है। छिंदवाड़ा जिले से कांग्रेस को छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले एक भी बड़े नेता ने कमलनाथ के खिलाफ बयान नहीं दिया। फिर बात पूर्व विधायक कमलेश शाह की हो या दीपक सक्सेना की। ऐसे नेताओं की लंबी लिस्ट है, जिन्होंने कमलनाथ के प्रति अपने समर्पण भाव को मीडिया के सामने जताया। सियासी गलियारों में इस बात को लेकर कई तरह की चर्चाओं का माहौल गर्म है। 

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वहीं इस मामले पर दोनों दलों ने अपने बयान दिए हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता  जितेंद्र मिश्रा ने कहा कि इसमें दोमत नहीं कि कांग्रेस के नेताओं को जबरन बीजेपी में शामिल करने के लिए एक प्लान के तहत काम किया जा रहा है। जो नेता बीजेपी में गए उन्हें ईडी, आईडी के साथ जेल का डर भी दिखाया गया है। बीते शुक्रवार को बीजेपी में शामिल हुए दीपक सक्सेना के फैक्ट्री और अन्य व्यवसाय को लेकर टारगेट किया गया था। इस संबंध में पीपीसी समेत कई वरिष्ठ नेताओं से चर्चा की गई थी। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष, महापौर समेत कई जनप्रतिनिधियों ने इस बात को कमलनाथ से साफ किया कि अब उनकी रोजी-रोटी, संपत्ति और भविष्य का सवाल है। डर के कारण छिंदवाड़ा के कांग्रेसी नेता बीजेपी में शामिल हुए। 

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उन्होंने इस बात का दावा किया कि जो भी नेता बीजेपी में शामिल हुए उनका बैकग्राउंड चेक किया जाए तो यह बात भी साफ होगी कि कैसे और किस तरह से उन पर दबाव डाला गया। यही कारण है कि कमलनाथ के खिलाफ नेताओं की परस्ती बीजेपी में जाने के बाद भी दिखाई दे रही है। ठीकरा किस पर फोड़ा जाए तो प्रदेश संगठन के खिलाफ मजबूरी में बयान दिए जा रहे हैं। कांग्रेस ने माना कि यह विचार धारा की नहीं बल्कि परिवार के भरण पोषण और रोजी-रोटी की लड़ाई है। जिसमें कुछ कांग्रेसी हारे। 

वहीं बीजेपी प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि परिवारवाद के कैलेंडर को खत्म करने के लिए कांग्रेसी नेताओं ने ठानी है। मोदी की गारंटी और बीजेपी की विचारधारा को अपनाया जा रहा है। लंबे समय से काम होने के कारण किसी नेता का सम्मान उस विचारधारा को छोड़ने के बाद भी हो सकता है। लेकिन, बीजेपी में शामिल होने वाले तमाम नेता बीजेपी के रंग में ही रंगे नजर आएंगे।

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