Lok Sabha Election 2024. फूलन देवी को सांसद बनाकर भेजने वाली सीट मिर्जापुर में अब तक रिकार्ड रहा है कि यहां से कोई भी तीसरी बार जीत हासिल नहीं कर पाए हैं. इस सीट पर अपना दल (एस) संरक्षक और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल लगातार दो बार जीत हासिल की है. इस बार भी भाजपा-अपना दल (एस) गठबंधन की तरफ से फिर अनुप्रिया पटेल मैदान पर हैं. वहीं सपा ने राजेंद्र सिंह बिंद को उम्मीदवार बनाया है.

पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में भी बीजेपी-अपना दल (एस) गठबंधन के तहत अनुप्रिया पटेल ने इस सीट से चुनाव लड़ा था और जीतीं थीं. यदि वह इस सीट से दोबारा चुनी गईं तो मिर्जापुर संसदीय सीट के इतिहास में रिकार्ड होगा. अब तक यहां से लगातार दो बार कोई प्रत्याशी नहीं जीता है. फूलन देवी, वीरेंद्र सिंह और बैरिस्टर अजीज इमाम और उमाकांत मिश्र दो-दो बार सांसद जरूर रहे हैं, लेकिन इनके कार्यकाल अलग-अलग रहे.

2014 और 2019 में अनुप्रिया पटेल ने दो लाख से भी बड़े अंतर से अपने विरोधियों को चित करने का काम किया था. 2019 के चुनाव में दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी के रामचरित्र निषाद रहे थे, वहीं चौथे नंबर पर कांग्रेस के ललितेश पति त्रिपाठी जिन्हें मात्र 91 हजार 501 वोट मिले थे.

इसे भी पढ़ें – Lok Sabha Election : चुनाव आते ही फसल काटने लगे राजभर, कहा- ये सब करके छोड़ दिया है…, Video Viral

बता दें कि सबसे पहले 1952 और 57 में कांग्रेस के जॉन एन विल्सन यहां से सांसद बने. 1962 में श्याम धर मिश्र ने सीट जीती. 1967 में जनसंघ के वंश नारायण सिंह को जीत मिली. अगले चुनाव में कांग्रेस के अजीज इमाम ने सीट छीन ली. इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में यहां भी जनता पार्टी ने जीत हासिल की और फकीर अली अंसारी सांसद चुने गए.

मिर्जापुर से फूलनदेवी बनीं थीं सांसद

1980 में इंदिरा गांधी ने वापस की तो यहां भी कांग्रेस की वापसी हुई और अजीज इमाम फिर से जीते. अगले साल उपचुनाव में कांग्रेस के ही उमाकांत ने सीट जीती. 1984 में उमाकांत दोबारा सांसद बने. वीपी सिंह की लहर में 1989 में जनता दल के युसूफ बेग सांसद चुने गए. राममंदिर आंदोलन में सीट भाजपा के पाले में आ गई और वीरेंद्र सिंह सांसद बने. 1996 में मुलायम सिंह यादव ने फूलन देवी को यहां से उतारा और वह सांसद बनीं.

2014 से अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद

दो साल बाद ही दोबारा चुनाव हुआ और भाजपा के वीरेंद्र सिंह ने यह सीट छीन ली. एक साल बाद 1999 में फूलन ने भी बदला लिया और सपा की झोली में दोबारा यह सीट आ गई. फूलन के बाद 2022 में रामरति बिंद सांसद बने. 2004 के चुनाव में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा को लोगों ने चुनकर संसद में भेजा. 2007 में रमेश दुबे और 2009 में सपा के बाल कुमार पटेल सांसद बने. इसके बाद 2014 और 2019 में सीट अपना दल सोनेलाल के पास आ गई. अनुप्रिया पटेल को लोगों ने सांसद चुना. 

छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक