वैभव बेमेतरिहा/विधि अग्निहोत्री, रायपुर। छत्तीसगढ़ सर्वाधिक नक्सल प्रभावित इलाकों मे से एक है बीजापुर विधानसभा क्षेत्र. यहां नक्सली जब चाहे किसी भी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. ऐसे इलाके में विकास गांव-गांव तक पहुँचाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. लेकिन इस चुनौती के बीच बीजापुर पहले से कहीं ज्यादा अब बदला है. नक्सल घटनाओं के बीच विकास यहां दिखता है. यही वजह है कि देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान भारत की शुरुआत पीएम नरेन्द्र मोदी बीजापुर के जांगला गांव से करते हैं. जांगला नक्लप्रभावित इलाके का एक मॉडल गांव है. जहां सुविधायुक्त स्वास्थ्य केन्द्र के साथ, बैंक, एटीएम, बीपीओ सेंटर है. इसी तरह से बीजापुर में कौशल विकास के जरिए बेहतर काम हुआ है. लेकिन विकास के बीच भी ढेर सारे मुद्दे है ऐसे भी जिसे मौजूदा चुनाव में विपक्ष की ओर से जोर-शो से उठाया जा रहा है.
इनमें प्रमुख रूप से ये तमाम मुद्दे चर्चा में है-
- नक्सली समस्या– बीजापुर का एक गंभीर मुद्दा रहा है. आए दिन होने वाले नक्सली हमले से बीजापुर की जनता परेशान है.
- बेरोजगारी– यहां के युवाओं की शिकायत है कि रोजगार के साधनों की यहां उपलब्धता कम है. युवा चाहते हैं कि यहां आउट सोर्सिंग बंद की जाए और स्थानीय लोगों को मौका दिया जाए.
- बफर मामला- बफर जोन में जंगलों की हुई कटाई को लेकर स्थानीय निवासियों में रोष है. क्योंकि महेश गागड़ा प्रदेश के वनमंत्री है और उनके वनमंत्री रहते हुए ही जंगलों की अंधाधुन कटाई की गई.
- पुल की मांग- वनमंत्री महेश गागड़ा के गृह ग्राम धरमगढ़ से 3 किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी के पार 11 ग्राम पंचायत के 33 गांव एेसे है जहां विकास नहीं पहुंच पाया है बारिश के दिनों में ये गांव पूरी तरह से कट जाते हैं लगभग 3000 की आबादी वाले इस गांव में आज भी लोग एक छोटी सी डोंगी के सहारे नदी पार करते हैं.
- लालपानी का मुद्दा- किरंदुल की माइंस से बहकर आने वाला लालपानी यहां के जल स्त्रोत में मिल जाता हैं. जिसके समाधान की गुहार निवासी बहुत पहले से लगा रहे हैं.लेकिन सरकार के सामने इन तमाम मुद्दों का एक ही जवाब विकास है. भाजपा विकास के मुद्दे के साथ एक बार फिर बीजापुर फतह करना चाहती है. सियासी समीकरण-
बीजापुर के सियासी समीकरणों को अगर समझने की कोशिश करते है तो संकट में भाजपा प्रत्याशी महेश गागड़ा दिखाई देते है. क्योंकि बीते दो बार से वह इस क्षेत्र के विधायक है और वन मंत्री है. लिहाजा जनता से उनकी अपेक्षाएं ज्यादा रही है. वहीं भाजपा से बगावत करने वाले सकनी चंद्रैया जनता कांग्रेस से प्रत्याशी हैं. मतलब भाजपा से बगावत कर वह चुनाव लड़ रही है. सकनी का ग्रमीण क्षेत्रों में खासा जनाधार है बताया जाता है. इन दोनों के बीच है कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम मंडावी. विक्रम मंडावी 2013 में भी चुनाव लड़ चुके हैं. लेकिन एक बड़े अंतर से वह महेश गागड़ा से चुनाव हार गए थे. बावजूद इसके कांग्रेस ने विक्रम पर ही एक बार फिर भरोसा जताया है. फिलहाल स्थिति ये है कि भाजपा प्रत्याशी महेश गागड़ा और कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम मंडावी के बीच सीधी टक्कर है. लेकिन सकनी चंद्रैया भाजपा का समीकरण बिगाड़ सकती है. वहीं यहां जतना कांग्रेस को सीपीआई का समर्थन है. लिहाजा सकनी बाजी मार भी सकती है.
2013 विधानसभा चुनाव के परिणाम
महेश गगड़ा(बीजेपी), 29578 मत
विक्रम मांडवी(कांग्रेस) 20091 मत
फिलहाल अब सबकी निगाह 12 नवंबर को होने वाले मतदान पहले है. क्योंकि बीजापुर में मतदान का प्रतिशत बहुत ही कम रहता है. वैसे भी यहां माओवादियों ने चुनाव बहिष्कार ऐलान किया हुआ है. लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले मतदान ही परिणाम तय करेंगे. 11 दिसंबर को पता चलेगा की बीजापुर में फिर से कमल खिलता है या फिर हाथ का जनता देगी साथ या जोगी के साथ हल चलाएंगे बीजापुरवासी.