चमत्कारों से भरा है मां शारदा का यह शक्तिपीठ, जहां पुजारी से पहले चढ़ा जाता है कोई फूल

आज से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. नवरात्रि के पहले दिन देवी मंदिरों में भक्तों का जन सैलाब उमड़ रहा है.

ये आलम त्रिकुट पर्वत पर विराजमान मां शारदा के दरबार में देखा गया. यहां पर भक्तों ने मैहर वाली माता के दरबार में हाजिरी लगाई और जयकारे लगाए.

मां शारदा का मैहर जिले में विराजमान त्रिकूट पर्वत पर वास है. इस मन्दिर को मैहर देवी का शक्तिपीठ कहा जाता है.

पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के अंग जहां-जहां पर गिरे थे, वहां-वहां पर एक शक्तिपीठ स्थापित हो गया. ऐसे ही 51 शक्तिपीठों में एक मां शारदा का पावन धाम है.

मान्यता है कि मैहर वाली मां शारदा के महज दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हेाती हैं.

मान्यता है कि इस मंदिर के पट बंद हो जाने के बाद जब पुजारी पहाड़ से नीचे चले आते हैं और वहां पर कोई भी नहीं रह जाता है तो वहां पर आज भी दो वीर योद्धा आल्हा और उदल अदृष्य होकर माता की पूजा करने के लिए आते हैं

मान्यता है कि आल्हा-उदल ने ही कभी घने जंगलों वाले इस पर्वत पर मां शारदा के इस पावन धाम की न सिर्फ खोज की, बल्कि 12 साल तक लगातार तपस्या करके माता से अमरत्व का वरदान प्राप्त किया था.

मान्यता यह भी है कि इन दोनों भाइयों ने माता को प्रसन्न करने के लिए भक्ति – भाव से अपनी जीभ शारदा को अर्पण कर दी थी, जिसे मां शारदा ने उसी क्षण वापस कर दिया था.