नारायणपुर– छत्तीसगढ़ का नारायणपुर क्षेत्र धुर नक्सली प्रभावित इलाका है और आए दिन यहां नक्सली घटनाएं होती रहती हैं. यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है और पिछले 15 सालों से बीजेपी यहां अपनी जीत दर्ज कराती आई है. इस बार भी 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां जबर्दस्त चुनावी दंगल देखने को मिलेगा. कोंटा विधानसभा की तरह यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को नहीं मिलता. यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होने वाली है.
कौन कौन है प्रत्याशी-
- केदार कश्यप- बीजेपी
- चंदन कश्यप- कांग्रेस
- बलीराम कचलाम- आम आदमी पार्टी
इस चुनाव में क्या हैं जनता के मुद्दे-
- अबूझमाड़ का विकास- नारायणपुर का एक बड़ा हिस्सा है अबूझमाढ़. यहां विकास की अगर बात कि जाए तो जब से छत्तीसगढ़ बना है तब से अबूझमाढ़ के कोर इलाकों में विकास नहीं पहुंच पाया है. इतने सालों के बाद आज भी अबूझमाढ़ विकास की मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाया है. केवल 10% पंचायत ही यहां विकास की मुख्य धारा से जुड़ पाए है.
- सिंचाई व्यवस्था का सुधार- आज से 50-60 साल पहले देश में जिस तरह से खेती की जाती थी, अबूझमाढ़ में आज भी उसी परंपरागत तरीके से खेती की जाती है. यहां ना तो सिंचाई की उचित व्यवस्था है ना ही आधुनिक खेती करने का कोई तरीका.
- रोजगार- इस क्षेत्र के युवाओं का सबसे बड़ा मुद्दा है रोजगार. युवा चाहते हैं कि उन्हे रोजगार के ज्यादा से ज्यादा साधन उपलब्ध कराए जाए.
- सौर उर्जा– नारायणपुर जिले में सौर उर्जा तकनीक से कुछ गांव ही रोशन हुए हैं अभी भी एेसे कई गांव हैं जो रोशन होने के इंतेजार में हैं.
क्या कहता है चुनावी समीकरण-
बीजेपी– बीजेपी ने एक बार फिर यहां रिस्क ना लेते हुए केदार कश्यप को ही टिकट दिया है. केदार कश्यप, आदिवासियों के प्रखर नेता और बस्तर में बीजेपी का कमल खिलाने वाले बड़े नेता बलिराम कश्यप के बेटे हैं. ये बीजेपी के एक दमदार प्रत्याशी हैं. भानपुरी और आस पास के गांवों की जनता के बीच इनकी पकड़ अच्छी है और इन गांवों के लगभग सभी वोट इन्हे ही मिलते हैं. इसी वजह के चलते केदार को फिर से टिकट दिया गया है. विकास के पैमाने पर अगर सरकार को तोला जाए तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि विकास तो हुआ है, लेकिन विकास सिर्फ शहरी क्षेत्र में दिखता है. नारायणपुर से आप कुछ किलोमीटर अंदर जाएंगे तो वहां स्थिति ज्यादा नहीं बदली है. इसलिए जनता इस बार विकास के आधार पर वोट देने के मूड में दिख रही है.
कांग्रेस– इस सीट से जीतना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर है क्योंकि यहां पिछले 15 सालों से बीजेपी बाजी मारती रही है. बीजेपी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर उसी चेहरे को उतारा है ये प्रत्याशी हैं चंदन कश्यप जो रिटायर शिक्षक हैं. इनकी छवि जनता के बीच अच्छी है. सरल व्यक्तित्व के चलते इन्हे जनता के वोट मिल सकते हैं. हालांकि 2013 के चुनाव में केदार कश्यप ने इन्हे लगभग 12 हजार वोटों से हराया था.
जनता कांग्रेस छत्ताीसगढ़ जोगी– इस चुनावी समीकरण में कांग्रेस का खेल बिगाड़ने वाली पार्टी बनकर उतरी है जोगी कांग्रेस. जोगी कांग्रेस ने बलीराम कचलाम को नरायणपुर से टिकट दिया है, बलीराम नरायणपुर के रहने वाले हैं और ग्रामीण क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं. इससे पहले बलीराम कांग्रेस के लिए ही प्रचार प्रसार करते आए हैं एेसे में बलीराम का चुनाव लड़ना कांग्रेस के वोट काट सकता है जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होता दिख रहा है.