ऐसा भी वक्त! जब कांग्रेस में शामिल होने की पहली शर्त नसबंदी थी

भारत की बढ़ती जनसंख्या हमेशा चिंता का विषय रही है. साल 1951 से देश में बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए एक खास तरीका नसबंदी अपनाया जा रहा है.

लेकिन 1970 के दशक में आपातकाल के दौरान जबरन नसबंदी एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था. 1975 में लाखों पुरुषों की जबरन नसबंदी करा दी गई थी.

कहा जाता है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने 'उग्र' तरीके से इस अभियान को आगे बढ़ाया.

ये ऐसा वक्त था जब पुलिस पूरे गांव को घेर लिया करती थी और पुरुषों की जबरन नसबंदी करा दी जाती थी. इसमें सबसे ज्यादा निशाने पर गरीब आबादी रही.

रिपोर्ट के अनुसार, एक साल के भीतर ही लगभग 62 लाख लोगों की नसबंदी की गई. इस दौरान गलत ऑपरेशन से 2 हजार मासूम लोगों की मौत भी हुई.

यहां तक कि संजय गांधी ने 37 साल से कम युवकों के कांग्रेस में शामिल होने के लिए नसंबदी कराने की शर्त रख दी थी.

29 मार्च 1976 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ में युवक कांग्रेस की रैली में संजय गांधी ने कहा था युवाओं के लिए कांग्रेस के दरवाजे खुले हैं.

लेकिन बस उनके लिए एक शर्त है. उन्हें हर महीने कम से कम दो लोगों की नसबंदी करानी है.