स्पेशल डेस्क, भोपाल। Lok Sabha Election First Phase: आज देश भर में पहले चरण के लिए मतदान की प्रक्रिया शुरू हो गई है जिसमें मध्य प्रदेश की 6 सीटों में वोटिंग जारी है। इस चुनाव में प्रदेश के कई दिग्गजों की साख दांव पर है। आज जबलपुर लोकसभा सीट में भी वोटिंग की प्रक्रिया जारी है जहां बीजेपी और कांग्रेस समेत 19 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। जबलपुर सीट में दोनों प्रमुख दल के दिग्गजों पर सबसे ज्यादा नजर होगी जहां बीजेपी से आशीष दुबे चुनावी मैदान में हैं तो कांग्रेस ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार दिनेश यादव को मैदान में उतारा है। आइए जानते है बालाघाट जबलपुर सीट का सियासी समीकरण…
कुल मतदाता
जबलपुर की जनसंख्या 25,41,797 है, जिसमें से 59.74 फीसदी शहरी और 40.26 फीसदी ग्रामीण है। जबलपुर लोकसभा सीट पर 18 लाख 96 हजार 346 मतदाता है। जिसमें 9,63,075 पुरुष और 9,33,186 महिला वोटर है। जबकि थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या 95 और 86 साल से ज्यादा उम्र के मतदाता 6666 हैं।
1996 से बीजेपी का कब्जा
जबलपुर सीट आजादी के बाद कांग्रेस की सबसे मजबूत सीट हुआ करती थी, लेकिन 28 साल से इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। 1996 के बाद से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। पहली बार 1974 में शरद यादव ने कांग्रेस का किला ढहाया था।
BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष दोनों की ससुराल
जबलपुर लोकसभा भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष दोनों की ससुराल है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सास जय श्री बनर्जी भी 1999 में जबलपुर से सांसद चुनी गई। पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह से लेकर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा भी जबलपुर में नर्मदा आरती और रानी दुर्गावती, शंकर शाह रघुनाथ शाह को नमन करने पहुंचते रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह जबलपुर से चार बार से लगातार सांसद रहे हैं।
सत्ता के सेमीफाइनल में बीजेपी ने मारी थी बाजी
बीजेपी ने 20 साल बाद एक ब्राह्मण और नए चेहरे आशीष दुबे को चुनाव में उतारा है। कांग्रेस ने भी इस बार नए चेहरे दिनेश यादव पर दांव लगाकर ओबीसी कार्ड खेला है। सत्ता के सेमीफाइनल यानि विधानसभा चुनाव में जबलपुर लोकसभा में आने वाली 8 विधानसभा में से 7 पर बीजेपी तो 1 सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया। जबलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली आठ विधानसभा में 4 चार शहरी 4 ग्रामीण सीट है।
जातिगत समीकरण
दूसरी तरफ जातिगत समीकरण की बात की जाए तो सबसे ज्यादा संख्या 15.4 फीसदी अनुसूचित जनजाति की है। अनुसूचित जाति की संख्या 14.3 फीसदी है। 7.4 फीसदी मुस्लिम वोटर्स है। जीत तय करने में आदिवासी, ओबीसी और ब्राह्मण मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं। 4 महानगर में से एक है जबलपुर है, लेकिन जबलपुर, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर के मुकाबले विकास के मामले में पिछड़ा है।
पिछले चुनाव में भाजपा को मिली थी जीत
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जबलपुर लोकसभा सीट पर निर्णायक जीत हासिल की थी। भाजपा उम्मीदवार राकेश सिंह को 8 लाख 26 हज़ार 454 वोट मिले थे, जो कुल वोटों का 65.41% था। कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा को 3 लाख 71 हजार 710 वोट मिले, जो कुल वोटों का 29.42% था। 2019 में राकेश सिंह को 4,54,744 वोटों से जीत मिली थी। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 69.46% रहा था।
19 अप्रैल को मतदान, कुल इतने मतदान केंद्र
जबलपुर लोकसभा सीट से इस बार कुल 19 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। आज वोटिंग के लिए कुल 2139 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। जबलपुर लोकसभा सीट पर कुल 170 सेक्टर बनाए गए हैं। असुरक्षित मतदान केंद्र की संख्या 15 है। क्रिटिकल मतदान केंद्र की संख्या 482 है। 19 अप्रैल को जबलपुर लोकसभा सीट पर 8000 से ज्यादा पुलिस बल तैनात किए गये हैं। प्रशासनिक कर्मचारी की बात करें तो 15000 से ज्यादा कर्मचारी इस चुनाव ड्यूटी में लगे हुए हैं।
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