अमृतसर. शिअद (बादल) अध्यक्ष सुखबीर बादल ने पार्टी में एकजुटता रखने के लिए एक परिवार एक टिकट का सिद्धांत लागू किया था. लेकिन, प्रदेश की राजनीति में बदले समीकरणों के समक्ष सुखबीर बादल शायद ही अब इस अमल कर सके.
शिअद के सीनियर नेता सिकंदर सिंह मलुका के परिवार की बगावत के बाद बठिंडा लोकसभा सीट शिअद के लिए चौथी बार जीतना एक बड़ी चुनौती बन गया है. मलुका की बहु परमपाल कौर सिद्धू भाजपा की टिकट पर बठिंडा लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं. मलूका के परिवार का मानसा व राजपुरा विधानसभा हलकों में गहरा प्रभाव है. इसलिए सुखबीर बादल मलुका परिवार द्वारा शिअद के समक्ष रखी चुनौतियों से लड़ने के लिए खुद चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. मलूका परिवार ने हरसिमरत कौर बादल को 3 बार संसद में भेजने में बड़ी भूमिका निभाई है.
1998 के बाद फिरोजपुर सीट पर अकाली दल का दबदबा
1998 के बाद फिरोजपुर लोकसभा सीट अकाली दल जीतता रहा है. शिअद के सीनियर नेता जोरा सिंह मान 1998, 1999 और 2004 में सांसद बने. 2009 व 2014 में शिअद की टिकट पर शेर सिंह घुबाया यहां से सांसद रहे. शेर सिंह घुबाया के साथ पैदा हुए मतभेदों के बाद सुखबीर बादल खुद इस लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे थे. जबकि शेर सिंह घुबाया कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए. सुखबीर बादल यहां से यह सीट 1,98,850 वोटों से जीती थी. सुखबीर बादल को बीते चुनावों से 54.04 फीसदी मत मिले थे.
कांग्रेस भी शिअद को घेरने के लिए पूरी तैयार
कांग्रेस पार्टी भी इस बार बठिंडा हलके से शिअद को घेरने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा. सत्ता पक्ष व सभी विपक्षी पार्टियों द्वारा हरसिमरत कौर को जीत का चौक्का लगाने से रोकने के लिए घेराबंदी कर रही है. सुखबीर बादल नहीं चाहते कि उनके गृह की इस सीट से हरसिमरत कौर बादल को उतार कर बड़ा जोखिम लिया जाए. जानकारी के अनुसार सुखबीर बादल फिरोजपुर से हरसिमरत कौर बादल को चुनाव मैदान में उतारने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं. बठिंडा व फिरोजपुर संसदीय हलकों से शिअद ने अभी उम्मीदवारों के नामों की घोषणा नहीं की है. दोनों लोकसभा सीटों से शिअद बीते 3 चुनावों में जीत हासिल कर चुकी है. सुखबीर बादल खुद फिरोजपुर से सांसद है. कुछ दिन पहले हरसिमरत कौर बादल ने घोषणा की थी कि वह बठिंडा लोकसभा हलके से ही चुनाव लडेंगी.
सूत्रों के अनुसार सुखबीर बादल ने इस मुद्दे पर सीनियर नेताओं के साथ चर्चा भी की है. बादल परिवार के वफादारों ने इस पर अपनी सहमति दे दी है. फिरोजपुर लोकसभा सीट शिअद के लिए एक सुरक्षित सीट समझी जा रही है. क्या हरसिमरत कौर बादल बदले समीकरणों को देखते हुए अपनी सीट बदलने का साहस जुटा पाएंगी, इस पर सुखबीर बादल की राजनीतिक कौशलता का पता चलेगा.
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