लखनऊ। नईमा खातून को सोमवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया, जो विश्वविद्यालय के शीर्ष पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला हैं. इसे भी पढ़ें : ‘मोदी के पास विजन है’ ट्वीट पर पीसीसी चीफ बैज का तंज, कहा- तो महंगाई-बेरोजगारी क्यों कम नहीं करते, 400 पार का नारा देकर 150 सीटों पर सिमट जाएगी…
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एएमयू को लिखे एक पत्र में कहा कि एएमयू के विजिटर के रूप में भारत की राष्ट्रपति प्रोफेसर नईमा खातून प्रोफेसर/प्रिंसिपल, महिला कॉलेज को पांच वर्ष की अवधि के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं. अप्रैल 2023 में तारिक मंसूर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से विश्वविद्यालय में कोई पूर्णकालिक कुलपति नहीं था.
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पत्र में यह भी कहा गया है कि भारत के चुनाव आयोग ने सरकार को आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के दृष्टिकोण से इस शर्त के साथ नियुक्ति के साथ आगे बढ़ने की अनुमति दी है कि “कोई प्रचार नहीं होगा और इससे कोई राजनीतिक लाभ नहीं लिया जा सकता है.” मंत्रालय के पत्र के बाद एएमयू ने भी सोमवार देर शाम एक अधिसूचना जारी कर नईमा खातून को एएमयू का वीसी नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी.
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नईमा खातून 2016 से एएमयू के महिला कॉलेज की प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत हैं. कुलपति पद के लिए नवंबर 2023 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि उनका नाम उनके पति मोहम्मद गुलरेज़ की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया था. जो विश्वविद्यालय के कार्यवाहक वीसी के रूप में कार्यरत थे, लेकिन याचिका खारिज कर दी गई थी. मामले को फिर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और यह लंबित है.
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एएमयू की पूर्व छात्रा खातून ने अपनी स्कूली शिक्षा ओडिशा में की और एएमयू में स्थानांतरित हो गईं, जहां अपनी पूर्व-विश्वविद्यालय की डिग्री पूरी करने के बाद 1981 और 1983 में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर मनोविज्ञान का अध्ययन किया. एएमयू वेबसाइट के अनुसार, बाद में उन्हें 1989 में मनोविज्ञान में पीएचडी से सम्मानित किया गया. उन्होंने छह पुस्तकों का लेखन या सह-लेखन भी किया है.
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