हेमंत शर्मा, इंदौर। एमपी व्यापम घोटाला जांच पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता ने यह गलत धारणा के आधार पर प्रस्तुत की है। बता दें कि रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा रिट पिटीशन को कोर्ट ने निरस्त किया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास इसे दायर करने का वैधानिक अधिकार नहीं था।
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पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने याचिका दायर थी, जिसमे कहा था कि व्यापम घोटाला मामले में 9 वर्ष बाद भी इसकी जांच पूरी नहीं हुई है। उन्होंने मांग की थी कि केंद्र और राज्य शासन को आदेश दिया जाए कि वे एक तय समय सीमा में मामले की जांच पूरी करें। केंद्र की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी और राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद सोनी ने पैरवी करते हुए याचिका निरस्त करने की मांग की। न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद याचिका निरस्त कर दी।
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क्या है व्यापम घोटाला
साल 2013 में मध्य प्रदेश में एक बहुत बड़ा परीक्षा घोटाला सामने आया था। तब व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापम की परीक्षाओं में उम्मीदवारों की जगह किसी दूसरे को बैठाना, नक़ल कराने समेत अन्य तरह की धांधलियों की वजह से इस मामले में सैकड़ों लोगों को गिरफ़्तार किया गया। इन घटनाओं में एक चौंकाने वाला मोड़ तब सामने आया जब घोटाले से संबंधित जांचकर्ता और अभियुक्तों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने लगी। घोटाले के तार कई राज्यों से जुड़े होने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंप दी गई थी।
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