रायपुर. इमरजेंसी में लोकतंत्र खतरे में था, लेकिन आज सभ्यता खतरे में है. समस्या बहुत गंभीर है. देश में आज इलेक्टोरल के साथ-साथ ज्यूडिशियल रिफॉर्म की जरूरत है,  और अर्जेंट रिफॉर्म्स की जरूरत है. यह बात रायपुर में आयोजित “जनवार्ता’ में प्रख्यात अधिवक्ता और स्वराज अभियान के संस्थापक प्रशांत भूषण ने कही.

प्रशांत भूषण ने अपने परिचर्चा के दौरान मीडिया से लेकर राजनीति, सरकार, पर्यावरण, बेराजगारी के अलावा अन्य ज्वलंत विषयों को छूने का प्रयास किया. मीडिया पोर्टल अच्छी चीज़ है. न्यूज़ पोर्टल वो काम कर रहे हैं, जो मेन स्ट्रीम मीडिया को करना चाहिए. लोगों तक असली खबरे नहीं पहुंचाई जा रही है.

किसानों के मुद्दे पर चिंता जताते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. दवाइयों के सहारे खेती का मॉडल से किसानों की हालत बिगड़ रही है. पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है.

केंद्र सरकार पर उन्होंने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सरकार पौने दो लोगो की रह गई है. एक अमित शाह और पौने प्रधनमंत्री, वो ज़्यादातर कपड़े बदलते और दौरे करते रहते हैं. अरुण जेटली अब ब्लॉगर मंत्री हैं. उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने बहुत भ्रटाचार किया, लेकिन कई अच्छे काम किए. कई एक्ट बनाये.  नरेगा एक अच्छा कदम था, उसे बढ़ाने की ज़रूरत है.

उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान को वेलफेयर स्टेट होने की ज़रूरत है. जीडीपी ग्रोथ से कुछ नही होगा. हमें देखना होगा कि नीचे के 70% लोगो की ज़िंदगी ऊपर उठ रही है कि नहीं. विकास को मापने के लिए ह्यूमन इंडेक्स देखना पड़ेगा. राजनीति पर उन्होंने कहा कि जो विज़िबल है, वही जीतता है. आज रैली भी पैसे के आधार पर हो रही है. सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता का दौर चल रहा है. ब्राज़ील में कंपनियां राजनीतिक पार्टी को चंदा नहीं दे सकतीं. लेकिन यहां कपनियों के 7 प्रतिशत प्रतिशत मुनाफा देने के लिमिट को भी हटा दिया गया.

उन्होंने कहा कि देश में सीरियस ज्यूडूशियरी रिफॉर्म, इलेक्टोरल रिफॉर्म की ज़रुरत है.

शिक्षा पर उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की नीतियों को आंकने की जरूरत है. यूनिवर्सिटी में क्रिटिकल शोध होते हैं. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में सबसे बढ़िया शोध होता था. लेकिन यूनिवर्सिटी में अब आरएसएस के लोग हैं. आरएसएस ने झूठ फैलाने का पूरा तंत्र बना लिया.

पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति पर उन्होंने कहा कि एक वैज्ञानिक का आंकलन हैं कि आने वाले 17 साल में दुनिया का तापमान 7 डिग्री बढ़ जाएगा. ये बेहद खतरनाक है. अगर आर्गेनिग फॉर्मिंग में नहीं गए तो ग्लोबल वार्मिंग और किसानों की आत्महत्या का मामला नहीं रुकेगा.