नई दिल्ली. राजधानी में चल रहे अवैध होटलों और गेस्ट हाउस पर शिकंजा कसने की बड़े स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है. पुलिस ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी होटल और गेस्ट हाउस को अपने मंच पर जोड़ने से पहले उसका लाइसेंस अवश्य देखें. उनके साथ जुड़े हुए अवैध होटलों की जानकारी पुलिस के साथ साझा करें.
दिल्ली पुलिस के लाइसेंस विभाग ने बीते दिनों ओयो, मेक माई ट्रिप सहित होटल बुकिंग के विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के अधिकारियों के साथ बैठक की. इसमें संयुक्त आयुक्त की तरफ से बताया गया कि दिल्ली में अवैध होटल कानून व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा हो सकते हैं. इस तरह के होटल में कोई आतंकी या आपराधिक शख्स ठहर सकता है. फिलहाल बड़ी संख्या में लोग होटल बुक करने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं. अपराध के लिए होटलों के इस्तेमाल को रोकना उनकी भी जिम्मेदारी है.
पुलिस ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के अधिकारियों को बताया गया है कि बड़ी संख्या में बिना लाइसेंस के होटल चल रहे हैं. ऐसे होटल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी जुड़े हैं. दिल्ली में होटल चलाने के आवेदनों में बीते एक वर्ष में काफी बढ़ोतरी हुई है. लाइसेंस लेने की प्रक्रिया उपराज्यपाल के निर्देश पर बेहद सरल हो गई है, लेकिन इसके बावजूद काफी होटल बिना लाइसेंस चल रहे हैं.
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49 दिनों में मिलता है लाइसेंस
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के अधिकारियों को बताया गया कि दिल्ली में लाइसेंस लेना बेहद आसान है. ऑनलाइन आवेदन होता है और इस पर निर्णय 49 दिन में होता है. अगर लाइसेंस नहीं दिया जाता तो पुलिस को उसका कारण बताना पड़ता है. आवेदन को 49 दिन से ज्यादा लंबित नहीं रखा जा सकता है.
सुरक्षा के उचित प्रबंध जरूरी
लाइसेंस से होटल के सुरक्षित होने की पुष्टि होती है. होटल निगम और पुलिस से लाइसेंस लेते हैं, जबकि दमकल विभाग से एनओसी लेनी होती है. लाइसेंस देने से पहले पुलिस यह सुनिश्चित करती है कि होटल ग्राहकों के लिए सुरक्षित हो. होटल के भीतर सुरक्षा के उचित प्रबंध और आग से बचाव के उपाय हों.
आईटी एक्ट के दायरे में
पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से होने वाली बुकिंग भी IT एक्ट के दायरे में आती है. अगर Online बुकिंग करने वाला शख्स किसी आतंकी घटना या बड़े अपराध को अंजाम देता है तो इसकी जिम्मेदारी बुकिंग करने वाले प्लेटफॉर्म की भी होगी. यह आईटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में आता है.
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