दिल्ली. खाड़ी देशों में पिछले छह साल के दौरान करीब 10 भारतीय मजदूरों की प्रतिदिन मौत हुई है. जिसका मतलब है कि देश को वहां से भेजी गई प्रति अरब डॉलर के बदले में 117 जानों की कीमत चुकानी पड़ी.
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारियों के आधार पर एक स्वयंसेवी समूह ने यह जानकारी दी. कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के वेंकटेश नायक ने एक जनवरी, 2012 से लेकर 2018 के मध्य तक बहरीन, ओमान, कतर, कुवैत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय मजदूरों की मौत के बारे में विदेश मंत्रालय से आंकड़े मांगे.
यूएई को छोड़कर अन्य सभी देशों के दूतावास ने यह जानकारी मुहैया कराई. भारतीय दूतावास ने आंकड़ों के लिए अपनी वेबसाइट का संदर्भ दिया जहां केवल 2014 के बाद तक के आंकड़े मौजूद थे. इन अंतरों को पाटने के लिए नायक ने लोकसभा और राज्यसभा में संसदीय प्रश्नों के जवाब में मिले आंकड़ों का इस्तेमाल किया.
उन्होंने कहा, ‘उपलब्ध आंकड़े दिखाते हैं कि 2012 से मध्य 2018 तक छह खाड़ी देशों में कम से कम 24,570 भारतीय मजदूरों की मौत हुई. यह संख्या बढ़ सकती है अगर कुवैत और यूएई से संपूर्ण आंकड़े सार्वजनिक किए जाते हैं. इससे मालूम होता है कि इस दौरान प्रतिदिन 10 मौतें हुईं.’ नायक ने कहा कि खाड़ी देशों में काम कर रहे भारतीयों की संख्या उस रकम के आधे से ज्यादा है जो 2012-2017 के बीच विश्व भर से भारत को प्राप्त हुई.