पाकिस्तान में यहां है असली हीरामंडी जिसे एक 'प्रधानमंत्री' ने बसाया था
मुगल काल में तवायफ को वो दर्जा प्राप्त था जहां बड़े-बड़े खानदानी रईस अपने बच्चों को तहजीब और तमीज सीखने भेजते थे.
लेकिन 18वीं सदी आते-आते तवायफों की परिभाषा बिल्कुल बदल गई
एक लाइन में हीरा मंडी को परिभाषित करें तो यह पाकिस्तान के लाहौर का एक रेड लाइट एरिया है
अपने शाही दरबार के अमीरों और मुलाज़िमों के लिए अकबर ने अपने महल के पास ही एक रिहायशी इलाक़ा बनवा दिया.
देखते ही देखते यहां लोग बसते गए और यह इलाका मोहल्ले में तब्दील हो गया.
शाही महल के पास में होने के कारण यह मोहल्ला शाही मोहल्ला कहलाने लगा
साल 1757 में अफगान अक्रांता अहमद शाह अब्दाली ने हिंदुस्तान पर हमला बोल दिया.
लाहौर पर अब्दाली का कब्जा हो गया.
अब्दाली की जीत के बाद ही पहली बार लाहौर के शाही मोहल्ले में वेश्यावृत्ति शुरू हुई.
वहां धड़ल्ले से वेश्यालय बनने लगे।,वेश्याओं के आने से तवायफों का धंधा कम होने लगा.
अफगान सैनिक जहां भी हमला करते वहां से औरतों को उठा लाते और लाहौर के वेश्यालय में डाल देते.
इन औरतों का काम अब्दाली के सैनिकों के साथ हमबिस्तर होना था, दूसरे लोग भी वाजिब कीमत अदा कर इन वेश्याओं के साथ संभोग करने लगे.
बंटवारे के बाद हीरामंडी के हालात 1947 में लाहौर पाकिस्तान का हिस्सा हो गया
जनरल से प्रधानमंत्री बने हीरा सिंह डोगरा ने शाही मोहल्ले में एक अनाज मंडी बनवा दी.
इस मंडी का नाम पड़ा हीरा सिंह दी मंडी, धीरे-धीरे यह मंडी हीरामंडी कहलाने लगा.
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